कोहिनूर फूड्स के जेएमडी गुरनाम अरोड़ा का अनुमान है कि इस साल बासमती चावल का घरेलू थोक मूल्य 10,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर सकता है। मार्केट टाइम्स के सुरेश मनचंदा के साथ गुरनाम अरोड़ा की खास बातचीत। अरोड़ा बता रहे हैं कि उनकी कंपनी जल्द ही बाजार में अपने कुछ नये ब्रांड भी उतारने वाली है।
चावल उद्योग के लिए साल 2016-17 कैसा रहा?
साल 2016-17 भारतीय बासमती चावल उद्योग के लिए काफी अच्छा रहा। इस साल उत्पादन कम था, जिस वजह से सीजन शुरू होने से लेकर अब तक बासमती चावल के भाव में 60-70% तक बढ़ोतरी हो चुकी है। इस साल निर्यात अच्छा रहा है, और ऐसी उम्मीद है कि अगला साल भी बेहतर रह सकता है।
इस साल बासमती के भाव कैसे रहने वाले हैं?
नवंबर-दिसंबर तक घरेलू थोक बाजार में बासमती का भाव 100 रुपये प्रति किलो यानी 10,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जायेगा।
2016-17 में चावल निर्यात कैसा रहा है और 2017-18 में कैसा होने की उम्मीद है?
देश से 2015-16 के दौरान जितना बासमती चावल निर्यात हुआ (40.45 लाख टन), लगभग उसी के करीब 2016-17 में भी रहने की उम्मीद है। अभी 2017-18 के लिए कुछ भी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी, क्योंकि अब तक तो फसल भी नहीं लगी है।
बासमती किसानों के लिए यह साल कैसा रहा?
अगर देश के चावल उद्योग को अच्छा भाव मिलता है तो वे हमेशा उस भाव का फायदा किसानों तक पहुँचाते हैं। इस साल उद्योग को निर्यात से अच्छा फायदा हुआ है और किसानों को भी उनके बासमती धान का अच्छा भाव मिला है।
पिछले कुछ सालों से ईरानी खरीदारों का भरोसा भारतीय निर्यातकों पर घटा है। क्या इस बार ईरान का भरोसा जीतने में हम कामयाब हुए हैं?
ईरान काफी भरोसे का बाजार रहा है। वहाँ के लोग काफी बुद्धिमान हैं। वे भाव को लेकर ज्यादा मोल-तोल नहीं करते हैं, लेकिन वे गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता नहीं करते। भारत के कारोबारी ईरान का भरोसा जीतने में हमेशा आगे रहे हैं, क्योंकि ईरान अपनी जरूरत के लिए जितना चावल आयात करता है, उसका सबसे ज्यादा हिस्सा भारत से ही जाता है।
ईरान ने भारत से चावल आयात के लिए 850 डॉलर प्रति टन की सीमा लगा दी थी। क्या अभी ईरान को इस भाव से ऊपर चावल जा रहा है?
850 डॉलर की ऊपरी सीमा बाजार में नहीं टिक पायी है और ईरान को उससे कहीं ऊपर के भाव पर बासमती चावल का निर्यात हो रहा है। मार्च में 1,150 डॉलर प्रति टन पर भी निर्यात के सौदे हुए हैं।
कोहिनूर फूड्स के लिए यूएई कैसा रहा है?
यूएई एक फिर से निर्यात वाला बाजार है। उनकी घरेलू जरूरत ज्यादा नहीं होती है। वे साल भर में अपने लिए 1 लाख टन से भी कम आयात करते हैं। लेकिन मध्य पूर्व के दूसरे देशों को यूएई से निर्यात होता है और वह बाजार काफी अच्छा चल रहा है।
फूड सिक्योरिटी के लिए यूएई की अल-धारा कंपनी ने हमारे साथ करार किया हुआ है और उसके लिए हर साल वह कोहिनूर फूड्स से 25,000 टन चावल खरीदती है। वह सारा चावल बासमती ही होता है।
चावल निर्यात के लिए क्या आप नये बाजार भी खोज रहे हैं?
हम काफी हद तक यूरोप के बाजारों पर नजर बनाये हुए हैं। दक्षिण अमेरिकी देशों में भी थोड़ा-बहुत बाजार बना रहे हैं। लेकिन चीन का बाजार बहुत बड़ा है और उसका अगर थोड़ा-सा भी हिस्सा हमें मिल जाये तो भारतीय बासमती चावल के लिए यह बहुत बड़ी बात होगी। हम चीन के बाजार में उतरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
अगर मॉनसून कमजोर रहा तो क्या इससे बासमती चावल का बाजार प्रभावित होगा?
कमजोर मॉनसून से बासमती चावल के बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। सामान्य धान के मुकाबले बासमती चावल के लिए कम पानी की जरूरत होती है। बासमती के जितने भी किसान हैं, उन सबके पास पहले से ट्यूब वेल की सुविधा है। ऐसे में कमजोर मानसून की स्थिति में बासमती चावल की खेती पर ज्यादा असर नहीं होगा।
क्या बासमती चावल के अलावा आप किसी दूसरे उत्पाद पर भी ध्यान दे रहे हैं?
बासमती चावल के कारोबार के अलावा हम कुछ हद तक दालों का भी आयात करते हैं। लेकिन इस समय हमारा ज्यादा ध्यान प्रोसेस्ड फूड की तरफ है और इसमें हम अच्छा कारोबार कर रहे हैं। इस साल हम ऑर्गेनिक उत्पादों में भी कारोबार बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। अब तक प्रोसेस्ड फूड का हमारा कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से कम का है। हम इसे 2017-18 में 150 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रख रहे हैं।
बीते साल कोहिनूर फूड्स की कुल बिक्री में गिरावट दर्ज की गयी और इसी वजह से आपके मार्जिन भी फिसले हैं? इसकी क्या वजह रही है?
नुकसान की वजह मैकॉर्मिक है। मैकॉर्मिक से चल रहे विवाद के चलते उन्होंने घरेलू बाजार में बेचने के लिए हमसे माल नहीं खरीदा। बीते तीन सालों से उनकी वजह से कंपनी को घाटा उठाना पड़ रहा है। लेकिन अब कोहिनूर मैकॉर्मिक पर निर्भर नहीं रहते हुए अपने नये ब्रांड बाजार में पेश करेगी। कोहिनूर ब्रांड पर एकाधिकार मैकॉर्मिक का ही रहेगा। लेकिन कोहिनूर फूड लिमिटेड कंपनी के अंतर्गत ही हम दूसरे ब्रांड बाजार में उतारने जा रहे हैं, जिसकी घोषणा जल्द कर दी जायेगी।
जो नया ब्रांड आप पेश करेंगे, वह किस नाम से होगा?
अब तक नाम की घोषणा नहीं की गयी है। लेकिन इस ब्रांड के तहत साल भर में घरेलू बाजार में हम करीब 50,000 टन की बिक्री का लक्ष्य रख रहे हैं।
जो नया ब्रांड आप उतारेंगे, इसके लिए क्या बाजार से पैसा उठायेंगे, या फिर खुद अपना निवेश करेंगे?
अब तक इस पर विचार चल रहा है, लेकिन ज्यादातर संभावना यही है कि नये ब्रांड के लिए कंपनी के आंतरिक स्रोतों का ही इस्तेमाल किया जायेगा।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)