बिजली ले लो... बिजली...
लगभग हर राज्य में बिजली की कमी एक बड़ी समस्या है, जिसका असर आम लोगों की जिंदगी पर भी होता है और उद्योग एवं व्यवसाय जगत पर भी।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ बिजली की यह कमी है, तो दूसरी तरफ देश में 46,000 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता बेकार पड़ी है। यह जानकारी केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के सदस्य (योजना) पंकज बत्रा ने मंगलवार 28 मार्च को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में दी। बत्रा ने कहा कि इसमें से 30,000 मेगावाट क्षमता ताप (थर्मल) बिजली और 16,000 मेगावाट क्षमता गैस आधारित है। यह क्षमता इसलिए निष्क्रिय पड़ी है कि राज्यों में उपभोक्ताओं तक बिजली पहुँचाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा तैयार नहीं है। बत्रा ने कहा कि राज्यों को अंतिम संपर्क (लास्ट माइल कनेक्टिविटी) पर्याप्त रूप से विकसित करनी चाहिए, ताकि खाली पड़ी इस क्षमता का उपयोग हो सके और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्याप्त बिजली मिल सके।
एक तरफ घरेलू बाजार में लोग बिजली के लिए तरसते हैं, दूसरी ओर खबर यह आ रही है कि भारत पहली बार शुद्ध रूप से बिजली निर्यातक देश बन गया है। साल 2016-17 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान भारत ने नेपाल, बांग्लादेश और म्याँमार को 5,79.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की है, जबकि इसने भूटान से 558.5 करोड़ यूनिट बिजली आयात की है। यानी शुद्ध रूप से भारत से बिजली का निर्यात केवल 21.3 करोड़ यूनिटों का ही रहा है, पर गौर करने वाली बात यह है कि अब तक भारत शुद्ध रूप से बिजली आयातक देश था। पिछले तीन वर्षों में नेपाल को बिजली के निर्यात बढ़ कर 2.5 गुणा और बांग्लादेश को निर्यात 2.8 गुणा हो गया है।
जीएसटी से संबंधित चार विधेयक संसद में पारित
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयकों को 27 मार्च 2017 को संसद में रखा। 29 मार्च को ध्वनि मत से चारों विधेयकों, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर बिल 2017 (सी-जीएसटी बिल), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर बिल 2017 (आई-जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र वस्तु एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी-जीएसटी बिल) और वस्तु एवं सेवाकर (राज्यों को प्रति कर) विधेयक 2017 को संसद में पारित कर दिया गया। वहीं अब राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) विधेयकों को हर राज्य सरकार द्वारा संबंधित विधानसभाओं में पेश किया जायेगा।
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) परिषद की मार्च में दो बैठकें हुई। परिषद की 12वीं बैठक 16 मार्च को हुई, जिसमें कानून से जुड़े दो अंतिम विधेयकों - राज्य जीएसटी (एस-जीएसटी) और संघ शासित जीएसटी (यूटी-जीएसटी) को हरी झंडी दी गयी। परिषद ने 31 मार्च को 13वीं बैठक में जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने के लिए जरूरी करीब आधे नियमों को अपनी मंजूरी दे दी। जीएसटी परिषद ने संसद से मंजूर जीएसटी कानून से तालमेल बैठाते हुए इस बैठक में जीएसटी व्यवस्था में इकाइयों का पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना, कर और रिफंड का भुगतान, इन्वॉइसिंग और डेबिट तथा ऋण पत्र से संबंधित पाँच नियमों में संशोधन को मंजूरी दी।
साथ ही इनपुट क्रेडिट टैक्स, मूल्यांकन, बदलाव का प्रावधान और कम्पोजिशन नियमों को भी शुरुआती मंजूरी दे दी गयी और इन्हें सुझावों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है। आगे 18-19 मई को श्रीनगर में जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इन नियमों को अंतिम मंजूरी दिये जाने की उम्मीद है।
इसके अलावा एस-जीएसटी को प्रत्येक राज्य विधानसभा से भी पारित करवाने की प्रक्रिया अब जल्द ही शुरू होने की संभावना है। हाल ही पाँच राज्यों के चुनावों के बाद 4 राज्यों में बनी भाजपा नीत सरकार बनने से केंद्र सरकार के लिए इस प्रक्रिया में काफी आसानी होगी।
जीएसटी परिषद में 5%, 12% 18% और 28% की चार श्रेणियों वाली संरचना और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों और लक्जरी उत्पादों पर सेस लगाने को लेकर पहले ही सहमति बन हो चुकी है। हालाँकि अभी एक समिति इस संरचना के अनुसार विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं लगने वाले कर की दरों की पड़ताल करेगी, जिस पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में विचार किया जायेगा। इसके अलावा, शराब और रियल्टी क्षेत्र को भी जीएसटी के अंतर्गत लाये जाने की संभावना बन रही है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)