प्राइवेट इक्विटी/वेंचर कैपिटल (पीई/वीसी) का निवेश जिन कंपनियों में होता है, वे बिक्री और संपदा वृद्धि के मोर्चे पर भी बढिय़ा प्रदर्शन करती हैं।
भारत में निजी कंपनियों के वित्त, सौदों और उनके मूल्यांकन का विश्लेषण करने वाली रिसर्च फर्म वेंचर इंटेलिजेंस के अध्ययन के मुताबिक पीई/वीसी निवेश वाली कंपनियाँ बिना पीई/वीसी निवेश वाली कंपनियों और यहाँ तक कि सेंसेक्स, निफ्टी और सीएनएक्स मिडकैप में सूचीबद्ध कंपनियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से विकास कर रही हैं।
प्राइवेट इक्विटी प्रभाव के इस अध्ययन में मात्रात्मक और गुणात्मक विधियों का उपयोग कर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पीई/वीसी फंडों के असर को मापने का प्रयास किया गया है। यह अध्ययन पहली बार 2007 में किया गया था। इस वर्ष आईआईटी, मद्रास में प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रो. थिल्लई राजन के परामर्श और निर्देशन में यह अध्ययन किया गया है।
प्रो. थिल्लई राजन के मुताबिक, %पीई प्रभाव अध्ययन यह बताता है कि पीई और वीसी कंपनियाँ अपने निवेश निर्णय में कैसे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाती हैं। पीई/वीसी निवेशक की उपस्थिति इक्विटी आधार को बढ़ाने में न सिर्फ एक तरह का प्रमाणन उपलब्ध कराती है, बल्कि ऋण पूँजी समेत वित्तपोषण के अन्य स्रोतों तक पहुँच बनाने में भी निवेश पाने वाली कंपनी की मदद करती है। पीई/वीसी निवेशक नये अवसरों को खोलने के अलावा वृद्धि और व्यवसाय रणनीति में सुधार के लिए निवेश पाने वाली कंपनियों के साथ सक्रिय साझेदारी भी करते हैं।’
पीई प्रभाव 2017 रिपोर्ट को बेंगलूरु में भारतीय प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल उद्योग के सालाना सम्मेलन, वेंचर इंटेलिजेंस अपेक्स में श्रीवत्स कृष्ण, आईएएस ने जारी किया। श्री वत्स विश्व बैंक के साथ काम कर चुके हैं और उन्होंने पीई उद्योग पर विस्तार से शोध किया है। वेंचर इंटेलिजेंस के सीईओ अरुण नटराजन कहते हैं, ‘अध्ययन से मोटी बात यह निकली है कि पीई-वीसी निवेश कंपनियों को विभिन्न प्रकार से तेजी से पैमाना बढ़ाने और वृद्धि को त्वरित करने में मदद कर सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का समुचित ढंग से मूल्यवर्धन करता है।’
यह रिपोर्ट बताती है कि 2011 से 2016 के बीच छह वर्षों में पीई/वीसी फर्मों ने भारतीय कंपनियों में 72 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया। यह समान अवधि के दौरान भारतीय कॉरपोरेट जगत द्वारा आईपीओ के जरिये जुटायी गयी रकम के मुकाबले 6.5 गुना ज्यादा है। पीई निवेश आम तौर पर छोटी कंपनियों से संबद्ध है। आमदनी और संपदा के मामले में पीई वित्तपोषित फर्मों का औसत आकार सभी सूचीबद्ध कंपनियों का लगभग छठवाँ हिस्सा है। पीई/वीसी समर्थित कंपनियों की आय वृद्धि सूचकांकों से जुड़ी कंपनियों के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा है।
पीई/वीसी निवेश का असर केवल आय वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि संपदा निर्माण में वृद्धि पर भी दिखता है। पीई/वीसी वित्तपोषित कंपनियों ने सूचीबद्ध समकक्ष कंपनियों के मुकाबले ज्यादा दक्षता से अपनी कार्यशील पूँजी का प्रबंधन किया है। पीई/वीसी वित्तपोषित कंपनियों की लाभ वृद्धि मानक सूचकांक वाली कंपनियों के बीच सबसे कम है। इससे पता चलता है कि ऐसी कंपनियों का जोर छोटी अवधि के लाभ के बदले लंबी अवधि की वृद्धि पर होता है।
पीई/वीसी वित्तपोषित कंपनियों में निवेशित पूँजी पर कम नकद प्रतिफल यह दिखाता है कि इनका जोर दीर्घकालिक वृद्धि पर रहता है। पीई-वीसी निवेश इक्विटी आधार बढ़ाने में भी मदद करता है, जिससे ऋण पूँजी आकर्षित करने में आसानी होती है। पीई-वीसी निवेशकों के होने से ऋणदाताओं को ज्यादा भरोसा हो पाता है, जिसका संकेत ऋण स्तर और ऋण की लागत से मिलता है।
पीई-वीसी निवेशक पारंपरिक बाजारों में खिंचाव के समय भी इन कंपनियों में निवेश करना जारी रखते हैं। इससे कंपनियों को उद्योग के गिरावट चक्र से उबरने में मदद मिलती है। छोटे-मँझोले आकार की कंपनियों के प्रवर्तकों के पास इक्विटी में योगदान कर सकने की क्षमता आम तौर पर सीमित होती है। ऐसे में पीई-वीसी निवेशक विकास को प्रेरित करने के लिए आवश्यक दीर्घकालिक पूँजी उपलब्ध कराने के लिए आगे आते हैं।
इस रिपोर्ट में क्वेज कॉर्प, रेडबस, वेक्टस और इक्विटास होल्डिंग्स - इन चार पीई-वीसी वित्तपोषित कंपनियों का अध्ययन सामने रखा गया है। स्टार्टअप के संस्थापक आईपीओ, विलय-अधिग्रहण और इस तरह की ‘कंपनियों के जीवन में एक बार’ की प्रक्रिया के प्रति अक्सर पर्याप्त निपुण नहीं होते हैं। कई पीई-वीसी कंपनियों को वित्तीय सेवा उद्योग का और अन्य कंपनियों के साथ काम करने का पूर्व अनुभव होता है। इससे वे जटिलताओं के बीच प्रवर्तकों को आगे बढऩे में मदद करती हैं।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)