निमेश शाह, एमडी एवं सीईओ आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी :
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के एमडी और सीईओ निमेष शाह का कहना है कि वित्तीय बाजारों से पूरा फायदा उठाने के लिए इक्विटी यानी शेयरों और ऋण (डेब्ट) में एक अनुपात रखते हुए निवेश करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से फंड बाजार में सभी तरह की स्थितियों में अच्छा प्रदर्शन कर पाता है।
खुदरा निवेशकों को बाजार में आने वाले उतार-चढ़ावों से क्या परेशान होना चाहिए? सभी प्रमुख वित्तीय संपदाओं में समय के साथ कुछ-न-कुछ उतार-चढ़ाव तो आता ही रहता है। याद रखना चाहिए कि कोई संपदा वर्ग इस तरह से नहीं बना है कि वह केवल एक ही दिशा में बढ़ता रहे, यानी ऊपर चढ़ती हुई एक सीधी रेखा में उसका भाव चले। जब वित्तीय संपदाओं की बात होती है, तो वहाँ उतार-चढ़ाव कुछ ज्यादा मुखर रूप से सामने आता है। ऐसा खास कर तब होता है, जब राजनीतिक, आर्थिक या वित्तीय घटनाओं की एक झड़ी लगी हो, या जब व्यापार से संबंधित चीजें एकदम उलट-पुलट जायें। मिसाल के तौर पर, चुनावी नतीजे उलट-फेर करने वाला एक प्रमुख कारण बन सकते हैं, जो वित्तीय बाजारों को एकदम से चौंका दें और किसी संपदा के भावों को एकदम से ऊपर या नीचे कर दें।
विश्व के सबसे धनी लोगों और महानतम निवेशकों में से एक, वारेन बफे ने कहा है, "उतार-चढ़ाव का मतलब वही नहीं है, जो मतलब जोखिम का है, और जो भी ऐसा सोचता है वह अपने पैसे गँवायेगा।"
समय-समय पर यह भी साबित हुआ है कि अर्थव्यवस्था से जुड़े पैमानों में होने वाले बड़े बदलावों के साथ वित्तीय संपदाएँ अन्य भौतिक संपदाओं की तुलना में अधिक आकर्षक हो जाती हैं, और एक ऐसी स्थिति बनती है जिसमें वित्तीय संपदाओं में वृद्धि निश्चित लगती है। इसलिए, खुदरा निवेशकों के लिए हमेशा यही सलाह रहती है कि वे अपने निवेशों पर मिलने वाले प्रतिफल (रिटर्न) को बढ़ाने के लिए वित्तीय संपदाओं में सहभागिता को धीरे-धीरे बढ़ाते रहें।
फिर भी, नये निवेशकों के लिए यह एक चुनौती होती है, जो बाजार में हर रोज होते रहने वाले उतार-चढ़ाव से दूर भागते हैं। तो फिर, पारंपरिक निवेश विकल्पों में मिलने वाली सुरक्षा के आदी ऐसे निवेशक किस तरह आराम से बाजार के उतार-चढ़ावों को पार कर सकते हैं?
बाजार का यह उतार-चढ़ाव अक्सर ही वित्तीय संपदाओं के निवेशकों को घबराहट में डाल देता है, क्योंकि इन संपदाओं की कीमतें काफी बेतरतीब ढंग से ऊपर-नीचे होती हैं। कभी-कभी तो पोर्टफोलिओ में हर तरफ लाल ही लाल निशान नजर आते हैं। जब निवेशक इन तात्कालिक नुकसानों को देखते हैं, तो बेहद रुष्ट हो जाते हैं । ऐसे मौकों पर वे गंभीर गलतियाँ करके अपने पोर्टफोलिओ को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं। जैसे कि, अधिकांशत: निवेशक ऐसे मौकों पर बिकवाली करने लगते हैं जब शेयरों के भाव गिरने लगते हैं, जबकि गिरते हुए बाजार में उन्हें खरीदारी करनी चाहिए। दूसरी ओर, जब शेयरों के भाव अपने रिकॉर्ड ऊपरी स्तरों पर होते हैं तो निवेशक लालच में आकर और ज्यादा मुनाफे की आशा करते हैं, जबकि जरूरी नहीं है कि ऐसा करना सही कदम साबित हो।
इसलिए इन दिलचस्प और गतिशील वातावरण में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने वाले उत्पादों के समूह की ओर ध्यान जाता है। गतिशील (डायनामिक) संपदा आवंटन / संतुलित फंडों ने कम जोखिम लेने की इच्छा रखने वाले निवेशकों के मन में पूँजी बाजारों से जुड़े भय को घटाने में मदद की है।
अक्सर निवेशक सुनते हैं कि लंबी अवधि में संपदा निर्माण के लिए संपदा आवंटन ही मुख्य आधार है। हालाँकि एक औसत निवेशक अपने व्यक्तिगत निवेशों में इस रणनीति को सफलता के साथ लागू करने में बड़ी कठिनाई महसूस करता है। डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड यानी गतिशील संपदा आवंटन वाले फंड इन निवेशकों के लिए एक सौगात की तरह सामने आते हैं, क्योंकि इन फंडों की संरचना ऐसी होती है जिसमें वे बाजार की स्थितियों के अनुसार उचित संपदा आवंटन करते हैं। अहम बात यह है कि ये फंड निवेशकों को निवेश प्रक्रिया के साथ जुड़ी भावनाओं के बोझ से मुक्त होने में मदद करते हैं। जैसे, निवेशक गिरते बाजार में मिले मौकों को गँवा दिया करते हैं। उन्हें डर लगता है कि अगर बाजार और नीचे गिरा तो उनका नुकसान भी बढ़ जायेगा। लेकिन ऐसे फंड दूसरी ओर इक्विटी में अपना आवंटन बढ़ाते हैं, क्योंकि उनकी बाजार रणनीति में यह बात शामिल है, और जो वास्तव में ऐसी स्थिति में उचित कदम भी है।
खुदरा निवेशकों की समझ समय के साथ विकसित हुई है। वे इस बात को काफी हद तक स्वीकार कर रहे हैं कि लंबी अवधि में डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड उतार-चढ़ाव से लाभ उठाने का लक्ष्य रखते हैं, और इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि बाजार ऊपर-नीचे हो रहा है या भविष्य का आशावादी नजरिया सामने है। इस उत्पाद के प्रति खुदरा निवेशकों के उत्साह में हो रही वृद्धि इस बात से समझी जा सकती है कि बीते दो वर्षों में डायनामिक एसेट एलोकेशन फंडों में होने वाला निवेश बढ़ा है।
डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड कुछ अनोखी खासियतें रखते हैं, क्योंकि वे दो महत्वपूर्ण वित्तीय संपदाओं - इक्विटी और ऋण के बीच संतुलन बनाते हैं। जब इनमें से एक संपदा ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखाये, तो दूसरी संपदा उसके असर को कम कर देती है। साथ ही, डायनामिक एसेट एलोकेशन फंडों में अपने-आप संतुलन बनाते रहने की रणनीति होती है, जो एक संपदा वर्ग के आकर्षण और अनुकूलता पर निर्भर करती है। उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने वाले इन उत्पाद-समूहों की मूल धारणा यह होती है कि लंबी अवधि में संपदा का निर्माण किया जाये। उनकी यह खासियत कम जोखिम पसंद करने वाले निवेशकों को भरोसा दिलाती है।
लंबी अवधि के निवेशकों का अनुभव ऐसे उत्पादों के साथ बहुत सकारात्मक और उत्साहवर्धक रहा है। इसलिए म्यूचुअल फंड उद्योग में डायनामिक एसेट एलोकेशन फंडों की श्रेणी उतनी ही बड़ी बन सकती है, जितनी बड़ी श्रेणी संचयी इक्विटी फंडों की है। विश्व में अनिश्चितता पहले से बढ़ी ही है, इसलिए आपकी निवेश रणनीति में भी उसके अनुरूप ही बदलाव आने चाहिए। और, इसके लिए डायनामिक एसेट एलोकेशन फंडों में निवेश बढ़ाने से बेहतर भला क्या हो सकता है!
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)