आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने मार्च के तीसरे सप्ताह में म्यूचुअल फंड उद्योग पर जारी अपनी रिपोर्ट में पूर्ववर्ती माह की सलाहों को बरकरार रखा है।
ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड, इक्विटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, इक्विटी बैंकिंग फंड, इक्विटी एफएमसीजी और बैलेंस्ड फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए सकारात्मक सलाह दी है। ब्रोकिंग फर्म ने इन्कम फंड के लिए अल्पकाल में सकारात्मक, अतिअल्पकाल में उदासीन और दीर्घकाल के लिए उदासीन सलाह बरकरार रखी है। इसी तरह इक्विटी फार्मा फंड और मंथली इन्कम प्लान (एमआईपी) के लिए अल्पकाल में उदासीन और दीर्घकाल में सकारात्मक सलाह बरकरार रखी है। ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी टेक्नोलॉजी फंड, आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड एवं गिल्ट फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए उदासीन सलाह दी है।
इक्विटी बाजार
भारतीय इक्विटी बाजारों में कैलेंडर वर्ष 2017 की शुरुआत से मजबूती जारी है और छोटे-मँझोले शेयरों में तेजी के कारण मार्च, 2017 में यह सार्वकालिक शिखर को पार कर गया। वैश्विक इक्विटी बाजारों में मजबूती, हाल के विधानसभा चुनावों में एनडीए की जीत और म्यूचुअल फंडों में जारी घरेलू निवेश ने नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने के रिजर्व बैंक के फैसले और उदासीन नीतिगत रुख अपनाने के बावजूद बाजारों में तेजी के रुख को बरकरार रखा।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में वृद्धि किये जाने के बावजूद वैश्विक इक्विटी बाजारों में उल्लास बना हुआ है। पूर्ववर्ती प्रतिक्रिया के विपरीत, फेडरल दर वृद्धि को अब इस साक्ष्य के तौर पर लिया जा रहा है कि विकास दर में सुधार हो रहा है और फेडरल रिजर्व का नरम रुख संकेत देता है कि दर वृद्धि धीरे-धीरे ही आगे बढ़ेगी। वैश्विक इक्विटी में आयी तेजी महज उस आशावाद पर नहीं टिकी है, जो कॉरपोरेट करों में कटौती और अमेरिकी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश के जरिये रोजगार सृजित करने की अमेरिकी राष्ट्रपति की मंशा से पैदा हुई। बाजारों ने इससे ज्यादा कुछ देखा है। जीएसटी विधेयक के पारित होने के संदर्भ में अनुकूल प्रगति और राज्य विधानसभाओं के नतीजों के बाद और सुधारों की उम्मीदों ने बाजार की धारणा को तेज बनाये रखा है। पिछले तिमाही नतीजों ने विमुद्रीकरण के कारण आमदनी और लाभप्रदता में गिरावट की आशंका के बीच स्थिर प्रदर्शन किया है। कंपनियों पर विमुद्रीकरण का असर उतना गंभीर नहीं था, जितनी कि प्रबंधन को आशंका थी। यह संकेत है कि हर गुजरते दिन के साथ स्थिति सामान्य हो रही है।
घरेलू म्यूचुअल फंडों में निवेश मजबूत बना हुआ है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि ताजा निवेश का एक बड़ा अंश दीर्घावधि के लिए है। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और पेंशन फंड योगदान में नियमित वृद्धि इस रुख की ओर संकेत करती है। निवेश की दीर्घकालिक प्रकृति के कारण फंड प्रबंधक अपेक्षाकृत ऐसी छोटी और मँझोली कंपनियों में भी निवेश का निर्णय लेने की स्थिति में हैं, जिनमें व्यवसाय चक्र ज्यादा उतार-चढ़ाव भरा और तुलनात्मक रूप से कम जाँचा-परखा है। हालाँकि बड़े स्थिर व्यवसायों के मुकाबले इनमें वृद्धि की संभावना काफी ज्यादा है। इससे बाजार के विस्तार में सकारात्मकता बनी हुई है। अन्य संपदा वर्ग अभी अनाकर्षक हैं, इस वजह से भी इक्विटी में ज्यादा निवेश आ रहा है।
परिदृश्य
हाल के राज्य विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सुधार जारी रखे जाने की उम्मीदें बढ़ी हैं, जिससे शेयर बाजार के लिए परिदृश्य सकारात्मक है। निम्न आधार, कमोडिटी की स्थिर कीमतों और उपभोग आधारित माँग में सुधार के कारण अगले दो-तीन वर्षों के दौरान आय वृद्धि की दर अच्छी रहने की संभावना है। भारतीय इक्विटी में निवेश में वृद्धि में कोविन (कोई विकल्प नहीं) कारक अपनी भूमिका निभा रहा है।
डेब्ट बाजार में निम्न प्राप्ति, रियल एस्टेट का नकारात्मक परिदृश्य और सोने के लिए फीका परिदृश्य भारतीय शेयर बाजार के बढऩे के मुख्य कारक प्रतीत होते हैं। घरेलू म्यूचुअल फंड उद्योग में मजबूत निवेश जारी रहने की संभावना है। अतीत में, भारतीय गृहस्थ निवेशकों ने अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा सोना और रियल एस्टेट जैसी भौतिक संपदाओं में लगाया है। अब शुरुआती संकेत हैं कि यह प्रवृत्ति क्रमश: बदल रही है और गृहस्थ निवेशक वित्तीय बचत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। शेयर बाजार के लिए ईपीएफ से उच्च आवंटन और एनपीएस की बढ़ती लोकप्रियता आने वाले समय में इक्विटी में घरेलू निवेश प्रवाह को और बढ़ायेगी।
म्यूचुअल फंड उद्योग सार
म्यूचुअल फंडों में पिछले तीन वर्षों में मजबूत निवेश हुआ है, जिससे म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा में भारी वृद्धि हुई है। म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा फरवरी 2017 में सालाना आधार पर 42% बढ़ कर 17.89 लाख करोड़ रुपये के शिखर तक पहुँच गयी। इसमें से इन्कम फंडों की हिस्सेदारी 44% और इक्विटी तथा ईएलएसएस फंडों की हिस्सेदारी 29% रही। वित्त वर्ष 2016-17 के 11 महीनों में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में 397,932 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। कुल निवेश में से 62,151 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और ईएलएसएस फंडों में हुआ। इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश स्थिर बना हुआ है। यह प्रवत्ति म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और पूँजी लगाने के लिए गिरावट को अवसर के रूप में इस्तेमाल करने को दिखाती है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)