यूटीआई म्यूचु्अल फंड ने यूटीआई स्मार्ट प्लान पेश किया है, जिसमें संपदा निर्माण के लिए यूटीआई लॉन्ग टर्म एडवांटेज फंड सीरीज 5, सुरक्षा के लिए यूटीआई यूलिप और सेवानिवृत्ति के लिए यूटीआई रिटायरमेंट बेनिफिट पेंशन फंड को रखा गया है।
यानी इस प्लान में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की कर छूट का लाभ उठाते हुए एक साथ संपदा निर्माण, सुरक्षा और सेवानिवृत्ति, तीनों के लाभ देने की पेशकश की गयी है। इस प्लान और बाजार की चाल के बारे में यूटीआई म्यूचुअल फंड के ग्रुप प्रेसिडेंट - सेल्स और मार्केटिंग, सूरज केली से एक खास बातचीत।
हाल में आपने यूटीआई स्मार्ट प्लान सामने रखा है। यह क्या है और इसके पीछे क्या सोच है?
अगर आप धारा 80सी देखेंगे तो यह एक मिश्रित धारा है, जो लोगों को कुछ खास उद्देश्यों से बचत के लिए प्रोत्साहित करती है। जैसे कि इसमें बीमा, पेंशन और निवेश तीनों को रखा गया है। यूटीआई के पास इन तीनों के ही उत्पाद हैं, जिसमें से एक आपको पेंशन मुहैया कराता है, दूसरा आपको सेवानिवृति के समय के लिए तैयार करता है और तीसरा आपको निवेश का विकल्प देता है। इस तरह हमने धारा 80सी में शामिल तीनों तरह के विकल्प एक साथ दे रहे हैं।
जैसे अगर यूटीआई यूलिप को देखें तो यह भारत में सबसे पुराने फंडों में से एक है। यह 1971 में शुरू हुआ था और इससे बहुत सारे निवेशकों ने लाभ उठाया है। यह देश के सबसे आरंभिक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान में से एक है। अगर कोई बीमा कराना चाहता है तो वह यूलिप को एक विकल्प के रूप में देख सकता है। इसी तरह हर श्रेणी में लोग तुलना कर सकते हैं और उन्हें अपने लिए जो बेहतर लगे उसे चुन सकते हैं। हमारा मानना है कि हर श्रेणी में हम काफी प्रतिस्पर्धी उत्पाद पेश कर रहे हैं। हमारा पिछला प्रदर्शन अच्छा रहा है और नियमित रूप से हमारे प्रदर्शन में स्थिरता रही है।
मेरी सलाह है कि जब भी आप धारा 80सी के तहत निवेश की शुरुआत करते हैं तो सबसे पहले यह सोचें कि आपके निवेश का उद्देश्य क्या है? क्या आप बीमा सुरक्षा चाह रहे हैं, या पेंशन सुनिश्चित करना चाहते हैं, या शुद्ध रूप से अपनी पूँजी में वृद्धि चाहते हैं? यह समझ लेने के बाद आप इन श्रेणियों से संबंधित उत्पादों को चुनें।
आपके स्मार्ट प्लान में क्या इन तीन श्रेणियों के उत्पादों का मिश्रण है? क्या निवेशक सीधे केवल एक बार इस स्मार्ट प्लान के लिए आवेदन करेगा या फिर आवेदन तीनों उत्पादों के लिए अलग-अलग करना होगा?
दरअसल हमने इन सबको इका करके मार्केटिंग करना शुरू किया है। इन सबके नियम काफी अलग-अलग हैं। इसलिए सबको एक प्लान में मिला देना आसान नहीं है। इसलिए आवेदन तो तीनों के लिए अलग-अलग ही करना होता है।
यानी तीन अलग-अलग फॉर्म तो भरने होंगे, लेकिन एक विचार के रूप में आप इन तीनों को एक साथ पेश कर रहे हैं।
जी हाँ, यही सही है।
यूटीआई लॉन्ग टर्म एडवांटेज फंड सीरीज 5 एक ईएलएसएस है। आम तौर पर निवेशक सोचते हैं कि ईएलएसएस 3 साल के लिए होते हैं, क्योंकि कर छूट के लिए इनकी लॉक-इन अवधि तीन साल की होती है। आपने इस फंड को 10 साल का क्लोज एंडेड यानी नियत अवधि वाला फंड रखा है। ऐसा क्यों?
बाजार में किसी खास समय में कुछ खास क्षेत्र और कुछ खास शेयर आकर्षक लगते हैं। जैसे अभी हमारा नजरिया है कि आज घरेलू निवेश माँग पर निर्भर कंपनियों में निवेश करने का अच्छा मौका है। जब घरेलू निवेश में तेजी आयेगी, तो सीमेंट, निर्माण (कंस्ट्रक्शन) जैसे चक्रीय क्षेत्रों में उसका असर होगा। लिहाजा इनमें अभी काफी दम दिखता है। समय-समय पर ऐसे अवसरों को देखते हुए हम अमूमन हर साल 10 साल का एक क्लोज एंडेड फंड लाते हैं, जिसमें से आप तीन साल के बाद पैसे निकाल सकते हैं। उस फंड में हम 25-30 शेयरों का पोर्टफोलिओ बनाते हैं, जो हमें उस समय सबसे आकर्षक लग रहे होते हैं।
म्यूचुअल फंडों को ओपेन एंडेड यानी खुली अवधि वाला केवल एक फंड लाने की अनुमति होती है, पर अलग से क्लोज एंडेड फंड ला सकते हैं। इसके एनएफओ को हमें कम-से-कम तीन महीने तक खुला रखना होता है। यह 10 साल का क्लोज एंडेड फंड है, पर इसमें लॉक-इन अवधि तीन साल की ही है और आप तीन साल के बाद जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं। तीन साल के बाद पैसे निकालने पर कोई एक्जिट लोड भी नहीं है। क्लोज एंडेड फंड में हम केवल एनएफओ के समय ही निवेशकों से पैसे ले सकते हैं, अन्य खुली अवधि वाले फंडों के विपरीत इसमें एनएफओ के बाद हम नया निवेश नहीं ले सकते।
इस क्लोज एंडेड फंड की निवेश रणनीति क्या रहेगी?
इसमें हम थोड़ा ज्यादा घना पोर्टफोलिओ बनाते हैं। जहाँ अच्छे अवसर दिखें और जो शेयर आकर्षित लगते हैं, ऐसे 25-30 शेयरों को हम चुनते हैं। आम तौर पर विविधीकृत इक्विटी फंड में 50-60 शेयर होते हैं, पर इसमें हम शेयरों की संख्या लगभग आधी ही रखते हैं। इसमें हमारा लक्ष्य खुली अवधि वाले फंड से बेहतर प्रतिफल देना होता है। हमारे पास भी खुली अवधि वाला एक अन्य ईएलएसएस है। इस तरह हम निवेशकों को ज्यादा विकल्प उपलब्ध कराते हैं।
यूटीआई लॉन्ग टर्म एडवांटेज फंड सीरीज 5 बेशक 10 साल की नियत अवधि वाला फंड है, पर हम अभी से 10 साल का नजरिया लेकर निवेश की शुरुआत नहीं करते हैं। हम ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं, जिनके बारे में भरोसा हो कि अगले तीन साल में वे अच्छा करेंगे, क्योंकि तीन साल के बाद निवेशक अपने पैसे निकाल सकता है। यह विकल्प निवेशक के पास है। जब निवेशक पैसे निकालेंगे तो हम उसके मुताबिक अपने पोर्टफोलिओ में फिर से कुछ बदलाव करेंगे। मगर अभी हम उन अवसरों को देखते हैं, जहाँ लगता है कि अगले तीन साल में अच्छा प्रदर्शन होगा, वैसे ही शेयर हम लेने की कोशिश करते हैं। फंड की अवधि 10 साल है, मगर निवेश का नजरिया अगले तीन साल का ही रखते हैं।
यूटीआई यूलिप और बीमा कंपनियों की यूलिप योजनाओं में क्या अंतर है?
बीमा कंपनियों के यूलिप से हमारे यूलिप में एक मुख्य अंतर यह है कि हमारा व्यय अनुपात (एक्सपेंस रेश्यो) बहुत कम है। म्यूचुअल फंडों में व्यय अनुपात तुलनात्मक रूप से काफी कम रहते हैं। हालाँकि समय के साथ बीमा कंपनियों ने भी अपने कमीशनों में कमी की है, जिससे वह अंतर थोड़ा कम हुआ है। पर अब भी मेरा ख्याल है कि हमारा यूलिप बाजार में सबसे सस्ता होगा।
सामान्य धारणा के हिसाब से देखें कि अगर बीमा मुख्य उद्देश्य है तो कोई व्यक्ति सीधे बीमा कंपनी से ही लेना बेहतर मान सकता है।
अगर आपके पास 100 रुपये हैं जिसमें से 10 रुपये का टर्म प्लान लें और 90 रुपये का निवेश करें तो आपको दो उत्पाद खरीदने पड़ते हैं। अपने यूलिप में हम दो विकल्प देते हैं, 10 लाख रुपये या 15 लाख रुपये की बीमा सुरक्षा। अगर आपकी जरूरत इससे ज्यादा बीमा सुरक्षा की है तो आपको बीमा कंपनी के पास जाना होगा। लेकिन अगर आप बीमा और निवेश को एक साथ जोड़ते हुए आसान तरीके से एक उत्पाद खरीदना चाहते हैं, जिसमें थोड़ी बीमा सुरक्षा भी हो और साथ में निवेश भी हो जाये, तो यह उत्पाद उसके लिए काफी सटीक है।
आपके स्मार्ट प्लान का तीसरा हिस्सा यूटीआई रिटायरमेंट बेनिफिट पेंशन फंड (आरबीपीएफ) है। इसकी खास बातें क्या हैं?
यह दरअसल एक मिला-जुला उत्पाद है, जिसमें हम सामान्यत: 30-40% और अधिकतम 45% तक इक्विटी रखते हैं। ऐसे बहुत सारे निवेशक हैं, जो शेयर बाजार का जोखिम ज्यादा समय तक नहीं लेना चाहते हैं। हमने पाया है कि ऐसे निवेशकों के लिए इक्विटी में 30-40% आवंटन सबसे उचित रहता है। जैसे, आपको उदाहरण के लिए बताता हूँ कि अमेरिका में टार्गेट डेब्ट फंड की एक श्रेणी होती है। ये फंड आपकी सेवानिवृति के समय के अनुसार आपके लिए उत्पाद बनाते हैं। उनमें इक्विटी आवंटन हमेशा 30-40% रखा जाता है। हमारा यह उत्पाद उनसे मेल खाता है।
यूटीआई आरबीपीएफ में पैसा लगाने के बाद जब इसकी परिपक्वता होगी, तब आप इसी में सिस्टेमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्लूपी) शुरू कर सकते हैं। आपको इस से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी। रिटायर होने के बाद आपको पेंशन भी लेनी है तो परिपक्वता पर इसे एसडब्लूपी में बदल लें। एक ही उत्पाद में पहले आप बचत करें और उसके बाद उससे पैसे धीरे-धीरे निकालें। वैसे आपको बचत किसी एक उत्पाद में करनी पड़ती है और निकासी किसी और उत्पाद से करते हैं। आरबीपीएफ में निवेशकों के लिए इसे आसान बनाया गया है। कई सारे उत्पादों को खरीदने के बदले इसमें पैसा लगायें और अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करें।
अभी शेयर बाजार की चाल आपको कैसी लग रही है?
हमारा मानना है कि इस साल बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव बना रहेगा। भारत की घरेलू कहानी तो मजबूत है, अभी जीएसटी लागू होने वाला है, और घरेलू बाजार में ब्याज दरें घट रही हैं। इन बातों के चलते बाजार में अंदरुनी मजबूती कायम रहेगी। लेकिन साथ ही अमेरिका में ब्याज दरें इस साल ऊपर जायेंगी, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजार से पैसा निकालते रह सकते हैं। ये दोनों बातें एक-दूसरे को काटती रहेंगी, जिससे बाजार में उठापटक चलती रहेगी। इस विरोधाभासी पहलुओं के चलते उठापटक के बीच बाजार एक दायरे के अंदर ही चलेगा।
क्या घरेलू बाजार में ब्याज दरें और घटने वाली हैं, या जितना घटना था वह हो चुका है?
नोटबंदी के दौरान भारतीय बैंकों में इतना पैसा आया है कि उसे पूरी तरह लगाने में थोड़ा समय लगेगा। लिहाजा इस साल ब्याज दरें नीचे रहेंगी। हमारी अपेक्षा है कि ब्याज दरें साल के दौरान यहाँ से और 0.25-0.50% अंक नीचे जा सकती हैं। आरबीआई की तरफ से भी इस साल एक या दो कटौती होगी और बैंक भी अपनी दरें घटायेंगे। अगर वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें बढऩे का दौर नहीं होता तो हम घरेलू बाजार में ब्याज दरें और ज्यादा घटने का अनुमान लेकर चलते। हमारी अर्थव्यवस्था में अब भी निवेश वाली माँग नहीं है। जब इसमें तेजी नहीं आती, तब तक ब्याज दरें ऊपर जाने का चक्र शुरू होता हुआ नहीं देखेंगे। ब्याज दरें ऊपर जाने के लिए जरूरी होगा कि उद्योगों को दिये जाने वाले कर्ज की मात्रा में बढ़ोतरी दिखे।
यानी एक तरफ शेयर बाजार एक दायरे में रहने और ब्याज दरें कुछ नीचे जाने की संभावना है। ऐसी स्थिति में एक निवेशक को अपना पैसा किस तरीके से बाँट कर लगाना चाहिए?
एक निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा लगाना चाहिए। बाजार कहाँ जा रहा है, यह सोच कर नहीं लगाना चाहिए। अगर आपकी ज्यादा जरूरत पूँजी में वृद्धि की है और आप 5-7 साल की लंबी अवधि तक इंतजार कर सकते हैं, तो आपका सबसे ज्यादा आवंटन इक्विटी में होना चाहिए। अगर आपकी जरूरत नियमित आय की है, तो आपका मुख्य निवेश नियत आय (फिक्स्ड इन्कम) में होना चाहिए। बाजार में थोड़े समय के उतार-चढ़ाव के हिसाब से आप अपना आवंटन नहीं बदलेंगे।
जो निवेशक डेब्ट फंडों में ब्याज दरों के चक्र के मुताबिक रणनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें क्या करना चाहिए?
अगर निवेशक एक साल की दृष्टि से निवेश कर रहा है, तो वे शॉर्ट टर्म इन्कम फंड में पैसे लगा सकते हैं। उनकी अवधि दो-तीन साल की होगी और इनमें ब्याज दरों के नीचे जाने का लाभ मिल सकता है। लेकिन अगर लंबी अवधि का दृष्टिकोण है तो इक्विटी का प्रदर्शन ही अन्य संपदा वर्गों की तुलना में बेहतर रहेगा।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)