सुगंधा सचदेव, एवीपी, रेलिगेयर कमोडिटीज
साल की पहली छमाही सोने के लिए शानदार रही, जिसमें जुलाई तक कीमतों में 30% तक की बढ़त आयी।
सोने में आयी तेजी का श्रेय ब्रेक्सिट पर भयभीत प्रतिक्रिया, वैश्विक आर्थिक चिंताओं, मजबूत ईटीएफ माँग और बड़े केंद्रीय बैंकों की ढीली मौद्रिक नीति के रुख को दिया जा सकता है। साल के पहले 7 महीनों में सोने की वैश्विक कीमत 1,060 डॉलर प्रति औंस या 24,913 रुपये प्रति 10 ग्राम से 1,366 डॉलर प्रति औंस या 32,455 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्च स्तर तक उछल गयी। लेकिन साल के आगे बढऩे पर इसमें बढ़त रुक गयी। जुलाई 2016 में अपने शीर्ष पर पहुँचने के बाद इसकी कीमत ने अपनी चमक का कुछ हिस्सा खो दिया, क्योंकि मूल्य को लेकर संवेदनशील चीनी और भारतीय निवेशकों ने अपनी खरीद रोक ली। ब्रिटेन में ब्रेक्सिट यानी यूरोपीय संघ से अलग होने के बारे में जनमत-संग्रह दूसरी तिमाही में सोने की माँग में आयी उछाल के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक था, लेकिन ब्रेक्सिट का फैसला हो जाने के बाद निवेशक शांत पड़ गये।
साल की अगली महत्वपूर्ण घटना नवंबर की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की थी। लेकिन जहाँ भविष्यवाणियाँ की जा रही थीं कि डोनाल्ड ट्रंप के जीतने पर सोने की कीमत में वृद्धि होगी, पर इसके विपरीत चुनाव के फौरन बाद असल में सोने के दाम गिरने लगे। सोने में 6 नवंबर से 22 दिसंबर के बीच लगातार 7 हफ्तों तक, पिछले एक दशक में गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला चला।
इन वैश्विक घटनाओं के साथ-साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च मूल्य वाले नोटों को बंद करने की घोषणा की। आभूषणों से संबंधित 70-80% लेन-देन नकद में होती है। लिहाजा इस कदम के दूरगामी परिणाम अवश्य होंगे। कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि इस नोटबंदी के तत्काल प्रभाव के रूप में कुछ काला धन सोने में लगाया गया। वर्तमान में ऐसी चर्चाएँ हैं कि भारत सरकार सोने के आयात पर अंकुश लगा सकती है, ताकि सोने की खरीद में काले धन के इस्तेमाल को रोका जा सके। सरकार ने अगर सोने के आयात पर अंकुश लगाया तो कीमतों पर नकारात्मक असर पर पड़ सकता है।
चीन ने पहले ही इस दिशा में कदम उठा भी लिया है। डॉलर के बाहर जाने पर अंकुश लगा कर युआन में कमजोरी थामने के लिए चीनी सरकार ने सोने के आयात पर अंकुश लगा दिया है। आयात पर इस अंकुश का असर हाल में सोने की कीमतें नीचे जाने के रूप में दिखा है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्लूटीसी) के आँकड़ों के मुताबिक, सोने के गहनों की वैश्विक माँग वर्ष 2016 के पहले आठ महीनों में 20% से अधिक घटी है। वहीं नवीनतम थॉमसन रॉयटर्स जीएफएमएस सर्वेक्षण के अनुसार, वजन के आधार पर 2016 में भारत का स्वर्ण आयात 2003 के बाद से सबसे कम रहा। इसके अनुमान के अनुसार 2016 में भारत में सोने का आधिकारिक आयात 492 टन रहा, जिसका एक बड़ा हिस्सा निर्यात के लिए ही था।
यदि पीछे मुड़ कर देखें कि बाजार ने 2016 की घटनाओं पर कैसी प्रतिक्रियाएँ दीं, तो पता लगेगा कि लोगों ने जैसा सोचा था उस तरह के नतीजे सामने नहीं आये। साल 2016 अनुमानों के ध्वस्त होने के वर्ष के रूप में याद किया जायेगा। यह एक ऐसा साल रहा, जिसमें बाजारों, निवेशकों और मतदाताओं ने अपने फैसलों से सबको चौंका दिया।
तकनीकी आउटलुक
महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन निश्चित रूप से एक तकनीकी चार्ट विश्लेषक नहीं थे, मगर भौतिक विज्ञान के उनके नियम पिछले साल सोने की कीमत के व्यवहार पर सटीक बैठते हैं। न्यूटन के गति के पहले नियम का पालन करते हुए साल की शुरुआत से कीमतों में ऊपर की ओर सीधी रेखा के रूप में एक समान गति बनी रही। कीमतें साल के निचले स्तर से लगभग 30% उछल गयीं। इसके बाद प्रभाव में आया गुरुत्वाकर्षण का नियम, जो साल के अगले महीनों में असर दिखाता रहा।
जुलाई 2016 के बाद कीमतों ने अपनी बढ़त खो दी और साल के अंत में इसमें केवल 10% का लाभ रहा। इसके चलते मूल्य के चार्ट पर एक वलय जैसा आकार बना है। पिछली संरचनाओं से संकेत लेते हुए यह महसूस किया जा सकता है कि साप्ताहिक चार्ट पर एक किताबी किस्म की हेड ऐंड शोल्डर संरचना के चलते तेजडिय़ों को काफी चोट लगी। हालाँकि तत्काल दबाव कुछ और समय तक जारी रहेगा, लेकिन इस संरचना का लक्ष्य और जुलाई, अक्तूबर और नवंबर 2016 के 1.618 फिबोनाकी विस्तार (प्रोजेक्शन) दरअसल 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम या 1100 डॉलर प्रति औंस के आधार से मेल खाता है। लिहाजा इस स्तर पर सर्राफा बाजार में खरीदारी लौटनी चाहिए।
अभी हो रही आपूर्ति निचले स्तरों पर खप जाने की उम्मीद है। अल्पावधि के लिए बाजार धारणा कमजोर रह सकती है। एक बार धूल छँटने पर कीमतों में तेजी आयेगी। मासिक एमएसीडी पर सकारात्मक विचलन देखा जा रहा है, जो लंबी अवधि के लिए एक मजबूत संकेत है। इसलिए सोने की कीमत धीरे-धीरे शुरुआत में 29,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (1,250 डॉलर प्रति औंस) की ओर जा सकती है। वहाँ थोड़ा थमने के बाद नये साल में तेजी के अगले चरण में इसकी कीमत 31,400 रुपये प्रति 10 ग्राम (1,340 डॉलर प्रति औंस) के पास जा सकती है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)