शैलेष हरिभक्ति, ग्रुप चेयरमैन, डी. एच. कंसल्टेंट्स :
बैंकों में कितने पैसे जमा हो गये हैं, इस आँकड़े को देखने का कोई मतलब नहीं है। जो भी पैसा बैंकों में आ गया है, उसका अब पूरा हिसाब-किताब हो सकेगा, जबकि पहले वह सरकार की नजर से दूर था।
सरकार देखेगी कि किसने कितना पैसा जमा किया है और पहले उसने कितनी आमदनी दिखायी थी। जिन लोगों ने बिना टैक्स चुकाये ये पैसा जमा किया था उन्हें इस पर 50% की दर से कर और जुर्माना भरना होगा और 25% पैसा चार साल के लिए जमा करना होगा जिस पर उन्हें कोई ब्याज भी नहीं मिलेगा। नोटबंदी के चलते पहले जितनी भी काली नकदी थी उसकी सफाई हो गयी है और जो लोग काले धन के लेन-देन पर कारोबार करते थे उन्हें अब नये तरीके से काम करना होगा।
मेरे ख्याल से सरकार ने काली अर्थव्यवस्था को खत्म करने का जो अभियान शुरू किया है, यह उसका पहला कदम है। आगे और भी बहुत-से कदम उठाये जायेंगे जिनसे काला धन रखने वालों को काफी मुश्किल हो जायेगी। बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई शुरू होने वाली है। इसलिए मेरा तो कहना है कि जो भी लोग पहले से किसी वजह से इस तरह का लेन-देन और कारोबार करते रहे हैं, उनके लिए यह एक मौका है, जब वे अपना कारोबार साफ-सुथरा करने की ओर बढ़ सकते हैं। सरकार ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की जो नीति अपनायी है, उसमें पारदर्शिता बढ़ती जायेगी और इसके चलते काले धन पर अपना कारोबार चलाना मुश्किल होता जायेगा। मुझे नहीं लगता कि काली अर्थव्यवस्था से निकल कर सफेद अर्थव्यवस्था में आने में बहुत लोगों को तकलीफ होगी। अधिकांश लोग डिजिटल लेन-देन को अपना सकते हैं।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)