केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी की मियाद पूरी होने से एक दिन पहले एक बयान जारी कर न केवल इस कदम का समर्थन करने के लिए भारत के लोगों का आभार जताया, बल्कि यह जानकारी भी दी कि 19 दिसंबर तक के आँकड़ों के अनुसार आय कर संग्रह में 14.4% की वृद्धि दर्ज की गयी है।
रिफंड को घटाने के बाद आय कर संग्रह में हुई शुद्ध वृद्धि 13.6% की रही है। उन्होंने बताया कि अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में भी सभी श्रेणियों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष करों में 30 नवंबर तक 26.2% की वृद्धि हुई। इनमें से उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में 43.5% की, सेवा कर (सर्विस टैक्स) में 25.7% की और आयात शुल्क (कस्टम ड्यूटी) में 5.6% की वृद्धि हुई। वित्त मंत्री ने बताया कि केवल नवंबर महीने के आँकड़े भी निकाले गये हैं, जिन पर नोटों के बदले जाने की वजह से विपरीत प्रभाव हो सकता था। मगर इन तीनों प्रत्यक्ष करों का संग्रह नवंबर 2015 की तुलना में कहीं ज्यादा हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को लेकर चिंता थी, लेकिन सभी फसलों की कुल रबी बुवाई पिछले साल से 6.3% ज्यादा हुई है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि जीवन बीमा कारोबार, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, हवाई यातायात, पेट्रोलियम की खपत आदि भी में वृद्धि हुई है और म्यूचुअल फंडों में निवेश प्रवाह 11% बढ़ गया है। विरोधियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आलोचक जो भविष्यवाणियाँ कर रहे थे, उनका राजस्व संग्रह के आँकड़ों से तालमेल होना चाहिए था। आकलन अवास्तविक हो सकते हैं, मगर राजस्व संग्रह तो वास्तविक है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि बीते छह हफ्तों में जो स्थिति रही, उसकी तुलना में आने वाले हफ्तों और महीनों में स्थिति निश्चित रूप से काफी बेहतर रहेगी।
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रबी फसल की बुआई बढ़ी
2015 के मुकाबले 2016 में रबी फसल की बुआई में बढ़त हुई है। 2015 में कुल 545.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई हुई थी, जबकि 2016 में यह आँकड़ा 6.85% की बढ़त के साथ 582.87 लाख हेक्टेयर पर पहुँच गया। 30 दिसंबर तक गेहूँ 271.46 लाख हेक्टेयर से बढ़ कर 292.39 लाख हेक्टेयर, चावल 14.77 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 10.68, दालें 131.12 लाख की तुलना में 148.11 लाख हेक्टेयर, मोटा अनाज 56.29 लाख की तुलना में 56.29 लाख हेक्टेयर और तिलहन 71.83 लाख के मुकाबले 79.48 लाख हेक्टेयर में बोया जा चुका है। इससे पहले कृषि विभाग द्वारा 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच गेहूँ की बुआई का उपयुक्त समय निर्धारित किया गया था, जबकि 8 नवंबर को सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी।
नोटबंदी का सभी क्षेत्रों सहित खेती पर भी असर पड़ा और किसानों को बुआई के लिए बीज और खाद खरीदने में दिक्कतें आ रही थीं। ऐसे में रबी की बुआई में गिरावट की उम्मीद थी, मगर सामने आये आँकड़े इसके विपरीत हैं।
ऐप्पल बनायेगी भारत में आईफोन
ऐप्पल ने लोकप्रिय आईफोन अब भारत में भी बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए कंपनी ने बंगलुरू में उत्पादन संयंत्र लगाने की तैयारी शुरू कर दी है, जहाँ कंपनी अप्रैल 2017 से आईफोन उत्पादन की शुरुआत करेगी। गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है और ऐप्पल इस बाजार से भरपूर लाभ उठाना चाहती है। भारत में आईफोन के उत्पादन से ऐप्पल के लिए आईफोन की कीमत घटाना आसान हो जायेगा। फिलहाल कंपनी के आईफोन भारत में आयात किये जाते हैं और इस कारण उपभोक्ताओं को इनके लिए 12.5% अधिक शुल्क चुकाना पड़ता है। फिर भी कंपनी ने अक्टूबर 2015 से सितंबर 2016 के बीच देश में 25 लाख आईफोन बेचे जो कि इससे ठीक एक साल पहले की अवधि की तुलना में 50% अधिक है। वित्त वर्ष 2014-15 में हुई 6,742 करोड़ रुपये की तुलना में ऐप्पल की बिक्री वित्त वर्ष 2015-16 में 56% की बढ़त के साथ 9,997 करोड़ रुपये रही। इस अवधि में कंपनी का शुद्ध लाभ 21% बढ़ कर 294 करोड़ रुपये रहा।
भारत में ऐप्पल के लिए मूल उपकरणों की निर्माता कंपनी विस्ट्रॉन आईफोन का उत्पादन करेगी। विस्ट्रॉन ताइवान की मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) कंपनी है। विस्ट्रॉन ने ही ऐप्पल से बंगलुरू शहर में उत्पादन शुरू करने के लिए कहा, क्योंकि यहाँ हाई क्वालिटी के टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट बनाने के लिए पर्याप्त प्रतिभा उपलब्ध है। इससे पहले ऐप्पल के लिए आईफोन बनाने वाली एक और कंपनी फॉक्सकॉन ने भी कुछ समय पहले बंगलुरू में ही ऐसा ही संयंत्र लगाने की योजना का ऐलान किया था। ऐप्पल ने भारत में उत्पादन इकाई की स्थापना के लिए केंद्र सरकार के सामने अपनी कुछ माँगें रखी हैं, जिसमें टैक्स और कुछ अन्य मामलों में प्रोत्साहन शामिल है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)