रवि के. गुप्ता, एमडी, टॉरस म्यूचुअल फंड
नोटबंदी को लेकर आरंभिक डर खत्म होने के बाद 2017 की दूसरी छमाही में माँग बढ़ेगी। अगर कर ढाँचे में बदलाव हो और ब्याज दरें घटें तो कंपनियों का लाभ मार्जिन सुधरेगा।
डॉलर अभी 68-70 रुपये पर है। सेंसेक्स अगर 25,000 पर जाये, तो यह एफआईआई के लिए भारत में प्रवेश का सुनहरा मौका होगा। इसलिए उम्मीद है कि वर्ष 2017 के उत्तरार्ध में बाजार पहली छमाही के मुकाबले अच्छा रहेगा।
लंबी अवधि का निवेश करने वाले फायदे में
राजेश सतपुते, रिसर्च प्रमुख, मनीलिशियस
साल 2017 में बाजार सीमित दायरे में रहेगा। विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन बुनियादी पहलुओं एवं वृद्धि की संभावनाओं पर ही निर्भर रहेगा। आगे सटोरियों को नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि लंबी अवधि का निवेश करने वालों को अच्छा पुरस्कार मिलेगा। बाजार का सबसे ज्यादा ध्यान नोटबंदी के असर, कमजोर तिमाही नतीजे, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति और वहाँ डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के परिणामों पर है।
साल भर में सेंसेक्स 31,000 पर
संदीप सभरवाल, आस्कसंदीपसभरवाल डॉट कॉम
छोटी अवधि में नोटबंदी का काफी गंभीर असर हुआ है। मगर बाजार अंग्रेजी के वी अक्षर की तरह तेजी से पलटना चाहिए, बशर्ते आरबीआई नये नोट छापने में धीमी गति न रखे। साल भर में सेंसेक्स 31,000 और निफ्टी 9,700 पर होंगे। सकारात्मक पहलू यह है कि बुनियादी ढाँचे में निवेश का चक्र अच्छा है। वेतन आयोग की सिफारिशों और अच्छे मॉनसून की वजह से लोगों के पास अच्छा पैसा है।
अर्थव्यवस्था के व्यापक संकेत हैं बेहतर
सौरभ जैन, एवीपी - रिसर्च, एसएमसी ग्लोबल
अब 2017 का बजट करीब महीने भर ही दूर रह गया है, लिहाजा क्षेत्रवार उम्मीदें लगायी जाने लगी हैं। कर में राहत की भी आशा है। लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास की कहानी जब तक बरकरार है, तब तक बाजार में नये साल में 10-12त्न की बढ़त दिखने की उम्मीद भी बरकरार है। अर्थव्यवस्था के व्यापक संकेत बेहतर हुए हैं और निचली ब्याज दरों का दौर आया है।
वैश्विक बाजारों से धीमा रहेगा भारतीय बाजार
शाहिना मुकदम, निदेशक, वरुण कैपिटल
बाजार को लेकर अभी मैं सावधान नजरिया रख कर चल रही हूँ। तीसरी तिमाही के नतीजों में नकारात्मक वृद्धि दिखने की आशंका है। नोटबंदी के चलते 2016-17 की दूसरी छमाही में माँग वृद्धि पर असर होगा। ऋण वृद्धि की दर पिछले अनुमानों के मुकाबले कम होगी। साल 2017 में भारतीय बाजार की चाल वैश्विक बाजारों की तुलना में कमजोर रहेगी।
3-4 महीनों की तेजी के बाद गिरावट
शरद अवस्थी, रिसर्च प्रमुख, एसपीए सिक्योरिटीज
मुझे अगले 3-4 महीनों के लिए बड़ी तेजी दिख रही है। निफ्टी का शिखर 10,500 के पास बन सकता है। पर वहाँ बुलबुले वाला मूल्यांकन बन जायेगा। इस समय ही 20-22 का मूल्यांकन है। सेंसेक्स 28,000-30,000 की ओर जाते ही 26-28 तक का पीई हो जायेगा। वहाँ से बाजार गिरेगा। इसलिए सेंसेक्स छह महीने में 25,000 और साल भर में 19,000 पर नजर आ सकता है।
इस साल 8,000 से नीचे नहीं जायेगा निफ्टी
सौरभ मित्तल, एमडी, स्वदेशी क्रेडिट्स
नोटबंदी के चलते उपभोक्ता क्षेत्रों की आय पर असर होगा, पर ज्यादातर क्षेत्र बेअसर हैं। लंबी अवधि में यह दोनों तरह के क्षेत्रों के लिए लाभदायक होगा। मेरा आकलन है कि तीसरी तिमाही के नतीजों में 15% से अधिक की वृद्धि दिखनी चाहिए। साल भर में सेंसेक्स 30,000 और निफ्टी 9,100 पर पहुँच सकते हैं। वहीं नीचे की ओर अब मुझे निफ्टी इस साल 8,000 से नीचे जाता नहीं दिख रहा है।
बजट महत्वपूर्ण, बड़ी तेजी की उम्मीद
संजय सिन्हा, संस्थापक, साइट्रस एडवाइजर्स
अगले 3-6 महीनों में बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रहेगा, पर इसे साल 2017 के दौरान ही काफी मजबूत तेजी के नये दौर में प्रवेश करना चाहिए। अगले छह महीनों में बाजार के लिए बजट सबसे महत्वपूर्ण कारक रहेगा। 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में कंपनियों के नतीजे, 2017 का केंद्रीय बजट, डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत, राज्यों के विधानसभा चुनाव और मॉनसून पर खास नजर रहेगी।
दूसरी छमाही में वी आकार की उछाल
राजेश तांबे, बाजार विश्लेषक
नोटबंदी का फैसला शानदार था। बाजार में नकदी का प्रचलन जीडीपी के 12% के स्तर पर पहुँच गया था, जो काफी अधिक है। अगर यह कदम नहीं उठाया गया होता तो आगे काफी मुश्किल हो जाती। अब बैंकों के पास 10 लाख करोड़ रुपये होंगे। ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिलेगी। साल की पहली दो तिमाहियाँ कमजोर रहने की आशंका है, लेकिन अगली दो तिमाहियों में वी आकार की उछाल आ सकती है।
नोटबंदी का असर मौजूदा भावों में शामिल
राजेश अग्रवाल, रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट
नोटबंदी के बाद उपभोग क्षेत्र के कुछ बेहतरीन शेयरों की कीमतों में तकरीबन 25-30त्न की गिरावट आयी है। हमारा मानना है कि अगली दो तिमाहियों के लिए मंदी या आँकड़ों में संभावित कमी इनके भावों में शामिल हो चुकी है। नतीजों के खराब आने की स्थिति में चुनिंदा शेयरों में नतीजे के दिन कमजोरी आ सकती है, लेकिन इस मौके को बेहतरीन शेयरों को चुनने के मौके के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)