नीरज दीवान, निदेशक, क्वांटम सिक्योरिटीज
बाजार की दिशा इससे तय होगी कि नोटबंदी की अवधि पूरी होने के बाद कैसी स्थिति उभरती है और बजट में क्या सामने आता है। भारत में ब्याज दरें नीचे आना और बैंकों के पास अच्छी नकदी तरलता होना सकारात्मक है।
कमोडिटी भाव भी नीचे रहना अच्छा है। हालाँकि नोटबंदी के चलते विकास दर और कंपनियों की आय पर 2-3 तिमाहियों तक नकारात्मक असर होगा।
बाजार कुछ वर्षों की तेजी के लिए तैयार
नितेश चंद, रिसर्च प्रमुख, साइक्स ऐंड रे इक्विटीज
बाजार अगले कुछ वर्षों में एक बड़ी तेजी के लिए तैयार है। छोटी अवधि में एफआईआई बिकवाली मुख्य चिंता है। सकारात्मक यह है कि खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंडों के माध्यम से सहभागिता कर रहे हैं। नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक है, क्योंकि अगर 10-20त्न असंगठित क्षेत्र भी संगठित प्रणाली की ओर बढ़ा तो इससे कुल मिला कर आमदनी पर सकारात्मक असर होगा।
यह साल चुनौतियों से भरा, नोटबंदी ने मारा
पंकज जैन, निदेशक, एसडब्लू कैपिटल
साल 2017 बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण और ठहराव वाला होगा। इस साल निफ्टी ऊपर 8,800 और नीचे 7,500 तक जा सकता है। डॉलर की मजबूती, अमेरिका की ओर पूँजी का वापस पलायन, अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि और भारत में नोटबंदी से आया धीमापन मुख्य चिंताएँ हैं। नोटबंदी के चलते कम-से-कम अगले नौ महीनों तक स्थिति काफी बुरी रह सकती है।
यह निवेश करने का सर्वोत्तम समय
फणिशेखर पोनांगी, फंड मैनेजर, कार्वी कैपिटल
नवंबर 2013 के बाद से अब निवेश करने का सर्वोत्तम समय है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और विदेशी निवेशकों के लिए कर देनदारी पर अनिश्चितता को लेकर चिंताएँ हैं। लेकिन आगे उपभोग में अच्छी वृद्धि हो सकती है, क्योंकि आय कर दरों में कमी संभावित है। नोटबंदी का असर मार्च 2017 से आगे नहीं जायेगा। पर वित्त वर्ष 2017-18 में कर संग्रह में तेजी आने के चलते इसका अच्छा असर होगा।
दोनों दिशाओं में बेतरतीब उठापटक
प्रकाश दीवान, इक्विटी प्रमुख, आल्टामाउंट कैपिटल
शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव की संभावना है और इसमें दोनों दिशाओं में बेतरतीब ढंग से बड़ी उठापटक होती रह सकती है। अगर जीएसटी लागू होने में देरी होती है और एनडीए की राजनीतिक शक्ति में कमी आती है, तो ये बाजार के लिए प्रमुख चिंताएँ होंगी। पर बैंकिंग प्रणाली का मजबूत रहना और उपभोग की स्थिति में सुधार आना सकारात्मक पहलू हैं। सरकार बुनियादी ढाँचे पर खर्च को सहारा दे रही है।
इस साल निफ्टी 8,700-7,650 के दायरे में
प्रकाश गाबा, सीईओ, प्रकाश गाबा डॉट कॉम
सेंसेक्स फिर से 30,000 तक 2018 में और 40,000 के ऐतिहासिक स्तर तक 2025 में पहुँच सकेगा। अगले छह महीनों में बाजार के लिए सबसे अहम यह है कि भारत की विकास दर कितनी रहती है। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में धीमापन आने की आशंका है। वहीं घरेलू खपत अब भी भारतीय बाजार के लिए सबसे सकारात्मक पहलू है। निफ्टी का साल 2017 का दायरा 8,700 से 7,650 के बीच का होगा।
इस साल निफ्टी 8800-7700 के बीच
प्रदीप सुरेका, सीईओ, कैलाश पूजा इन्वेस्टमेंट
बाजार अभी उचित समय पर उचित मूल्यांकन पर है। बुनियादी रूप से मजबूत शेयरों में मध्यम से लंबी अवधि का निवेश शुरू करना चाहिए। इस पर अगले छह महीनों में भी अच्छा लाभ मिल सकता है। छह महीनों में सेंसेक्स 27,500 और निफ्टी 8,400 पर, जबकि साल भर में सेंसेक्स 29,000 और निफ्टी 8,800 पर होने चाहिए। निफ्टी का साल 2017 का दायरा ऊपर 8,800 और नीचे 7,700 तक का रहना चाहिए।
बाजार 14.5 पीई पर महँगा नहीं
पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था की तेजी में बाधक का काम किया। अब हमारा आकलन है कि 2016-17 की ईपीएस साल-दर-साल 5त्न की दर से बढ़ेगी। पहले हमने इसमें 16.3त्न बढ़त का अनुमान व्यक्त किया था। आर्थिक गतिविधियों के तलहटी छूने और स्थिर होने में 3-4 महीने का वक्त लगेगा। मूल्यांकन के नजरिये से सेंसेक्स अभी 2017-18 की अनुमानित ईपीएस के 14.5 गुना पीई पर है, जो महँगा स्तर नहीं है।
पहली छमाही में बाजार में निचला रुझान
पी. के. अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट
साल 2017 एक मुश्किल वर्ष होगा। नोटबंदी के चलते धीमापन, डॉलर की बढ़ती मजबूती मुख्य चिंताएँ हैं। आरबीआई के सामने मुश्किल है कि वह रुपये की गिरती कीमत थामे या अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ब्याज दरें घटाये। नोटबंदी से साल 2017 की कम-से-कम पहली छमाही में अर्थव्यवस्था धीमी ही रहेगी। लिहाजा शेयर बाजार निचले रुझान के साथ एक दायरे के अंदर बना रहेगा।
नोटबंदी ने रोकी विकास की गति
निपुण मेहता, संस्थापक एवं सीईओ, ब्लूओशन कैपिटल
जीडीपी और कॉर्पोरेट आय पर नोटबंदी का नकारात्मक असर दो तिमाहियों तक दिखेगा। इसके अलावा जीएसटी लागू होने में देरी, विदेशी वित्तीय संस्थानों की अनवरत बिकवाली, वैश्विक घटना-क्रम और कमोडिटी एवं कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि भी चिंता के विषय हैं। वहीं सरकार द्वारा किये जा रहे सुधार सकारात्मक बिंदु हैं। नोटबंदी ने भारत के आर्थिक विकास की गति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)