अनिल चोपड़ा, सीईओ, बजाज कैपिटल :
आपकी आय अगर 10 लाख रुपये से कम है और आपने कभी इक्विटी में निवेश नहीं किया तो राजीव गाँधी इक्विटी बचत योजना (आरजीईएसएस) आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।
मेरी सलाह होगी कि ऐसे लोग इक्विटी में सीधे निवेश करने के बदले म्यूचुअल फंडों की ऐसी योजना में निवेश करें, क्योंकि अगर वे खुद निवेश करेंगे तो उन्हें नुकसान हो सकता है। अगर उन्हें खुद शेयर बाजार की इतनी जानकारी होती तो वे शेयर बाजार में पहले से ही निवेश कर रहे होते और पहली बार के निवेशक नहीं होते। सरकार ने यह योजना इसीलिए तो चलायी है कि ऐसे लोग, जो शेयर बाजार के बारे में जानकारी नहीं रखते, वे भी इसका लाभ उठा सकें।
छह-सात म्यूचुअल फंडों ने आरजीईएसएस के अनुकूल अपनी योजनाओं की शुरुआत कर दी है। इनमें मुझे डीएसपी ब्लैकरॉक की आरजीईएसएस पसंद है। इसके अलावा यूटीआई और एसबीआई म्यूचुअल फंड की भी योजनाएँ हैं। इन फंड घरानों का पिछला प्रदर्शन बेहतर रहा है, जिसे देख कर इनकी आरजीईएसएस योजना को चुना जा सकता है।
अगर ऐसी किसी एक योजना में ही पैसा लगाना हो तो मेरी पसंद डीएसपी ब्लैकरॉक है। इक्विटी निवेश का इसका पिछला प्रदर्शन नियमित रूप से अच्छा रहा है और शेयरों का इनका चुनाव बेहतर साबित हुआ है। जैसे, डीएसपी ब्लैकरॉक टॉप 100 फंड हमेशा सबसे अच्छे प्रदर्शन वाली योजनाओं में शामिल रहता है।
लेकिन अक्सर कहा जाता है कि आप अपने सारे अंडे एक टोकरी में न डालें। इसलिए अगर आपको आरजीईएसएस में कुल 50,000 रुपये का निवेश करना है तो आप इस निवेश को दो जगहों पर बाँट दें। आप 25,000 रुपये का निवेश डीएसपी की योजना में और बाकी 25,000 रुपये का निवेश एसबीआई एमएफ में कर दें।
इसके बाद बारी आती है इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) की। जो स्वरोजगार वाले और पेशेवर लोग हैं, जैसे दुकानदार, डॉक्टर, वकील वगैरह, जिनकी वेतन से नियमित आय नहीं है और पीएफ में पैसा नहीं जमा होता, उनके लिए मैं कहूँगा कि आयकर कानून की धारा 80सी का फायदा उठाने के लिए ईएलएसएस एक अच्छा विकल्प है, खास कर अगर वे युवा हैं।
ईएलएसएस में रिलायंस का टैक्स सेवर प्लान मुझे पसंद है। इसी तरह केनरा रोबेको का टैक्स सेवर प्लान भी अच्छा है। रिलायंस म्यूचुअल फंड पुराना फंड घराना है और उसकी अन्य प्रमुख योजनाओं, जैसे रिलायंस इक्विटी अपॉर्चुनिटीज फंड, रिलायंस विजन फंड, रिलायंस ग्रोथ फंड - इन सबने लोगों की पूँजी में अच्छी-खासी वृद्धि की है। ईएलएसएस में तीन साल की लॉक-इन अवधि रहने के चलते एक अनुशासन रहता है। ऐसा नहीं होता कि बीच में ही बाजार इधर-उधर होने पर पैसा निकाल लें। तीन साल तक पैसा निवेशित रहने के चलते अच्छा लाभ मिलने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। अब तक का प्रदर्शन देखेंगे तो ईएलएसएस योजनाओं का लाभ सामान्य इक्विटी फंडों की तुलना में करीब 2-3% ज्यादा ही रहता है।
इसके अलावा अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बीमा योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी ने बीमा नहीं करा रखा है तो वह सबसे पहली जरूरत है। इसमें परिवार को सुरक्षा मिलने के साथ-साथ कर बचत भी होती है। यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य है कि किसी दुर्भाग्यपूर्ण विपदा की स्थिति में आपके परिवार की जीवनशैली पर असर न पड़े।
बीमा के लिए तो विकल्प काफी हैं। एक तो आप सावधि बीमा (टर्म प्लान) ले सकते हैं। एक सामान्य नियम यह है कि अपनी सालाना आमदनी की तुलना में कम-से-कम सात गुना बीमा सुरक्षा होनी चाहिए। अगर किसी की सालाना आमदनी 8-10 लाख रुपये की है तो उसका बीमा 50-60 लाख रुपये का होना चाहिए। सावधि बीमा का ज्यादा फायदा तभी है जब आप कम उम्र में ही इसे शुरू कर लें। अगर आपकी उम्र पहले ही 50 साल पार कर चुकी है तो ये काफी महँगे पड़ते हैं और लाभ-हानि का गणित बिगड़ जाता है। लेकिन जो 25-30 साल के हैं, अभी-अभी शादी है, छोटे बच्चे हैं, तो उनके लिए सावधि बीमा सबसे अच्छी बीमा योजना है।
इसके अलावा रिटायरमेंट प्लान और पारंपरिक योजनाएँ भी हैं, जिसमें एचडीएफसी क्लासिक एश्योर का नाम लिया जा सकता है। यह एक रिटायरमेंट प्लान है। इसके अलावा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का गारंटेड सेविंग इन्श्योरेंस प्लान अच्छा है। ये पारंपरिक योजनाएँ हैं, बाजार से जुड़ी नहीं हैं। इनका शेयर बाजार या इक्विटी से लेना-देना नहीं है। इन योजनाओं के पैसे का निवेश सरकारी प्रतिभूतियों और बांडों में होता है। इनमें लाभ भले ही थोड़ा कम रहे, लेकिन इसमें गारंटेड बोनस की सुविधा है और रिटायर होने के समय एक अच्छी रकम मिल जाती है। उस राशि से आप सेवानिवृति के बाद की योजना बना सकते हैं। साथ में अभी आप जो प्रीमियम देंगे, उस पर कर बचत भी हो जायेगी।
स्वास्थ्य बीमा योजना ले कर भी धारा 80डी के तहत कर बचत की जा सकती है। स्वयं, पत्नी और बच्चों के स्वास्थ्य बीमा के लिए 15,000 रुपये की सीमा है। आजकल किसी बीमारी में इलाज के खर्चे काफी बढ़ गये हैं, दो लाख तीन लाख रुपये का भी बिल आ जाता है। आप 15-20 हजार रुपये का प्रीमियम दे कर इस परेशानी से बच सकते हैं। अगर माता-पिता के लिए भी स्वास्थ्य बीमा करायें तो कर छूट की सीमा बढ़ जाती है।
मुझे मैक्स बूपा की ऑप्टिमा और अपोलो म्युनिख की स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ अच्छी लग रही हैं। ये भारत में नयी कंपनियाँ हैं, लेकिन इनमें अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियाँ साझेदार हैं। इनमें कुछ गंभीर बीमारियों का पता चलने के मौके पर भी एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। जैसे अगर किसी को कैंसर की बीमारी होने का पता चले तो उसके इलाज के खर्च के अलावा तत्काल एक तय राशि का भुगतान भी होता है। ये कुछ नयी सुविधाएँ हैं, जो भारत में पहले की योजनाओं में नहीं थीं। मेरी सलाह है कि इन बातों का ख्याल रखते हुए और किसी वित्तीय योजनाकार से सलाह लेकर इन चीजों को अपने पोर्टफोलिओ में डालना चाहिए।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)