सुशांत शेखर :
भारतीय रिजर्व बैंक ने नये बैंक लाइसेंस पर दिशानिर्देशों का मसौदा जारी करके कुछ नये बैंक खुलने का रास्ता साफ कर दिया है। लेकिन इस मसौदे में ऐसे कई प्रस्ताव हैं जो लाइसेंस के दावेदारों को ठीक नहीं लग रहे हैं।
आरबीआई के मसौदे के मुताबिक नया बैंक खोलने की इच्छुक कंपनी के पास कम-से-कम 10 साल का अनुभव जरूरी होगा। साथ ही उम्मीदवार कंपनी भारतीयों के नियंत्रण में होनी चाहिए। जिस कंपनी की 10% से ज्यादा आमदनी रियल एस्टेट और ब्रोकिंग कारोबार से होगी, वह बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर सकेगी। साफ है कि रिजर्व बैंक ग्राहकों के हित सुरक्षित रखना चाहता है।
बैंक लाइसेंस का आवेदन करने वाली कंपनी को आरबीआई के पास एक नॉन-ऑपरेटिव होल्डिंग कंपनी पंजीकृत करानी होगी। बैंक का नियंत्रण इस होल्डिंग कंपनी के पास होगा और उसमें पैतृक कंपनी से जुड़ी दूसरी वित्तीय कंपनियाँ शेयरधारक नहीं बन सकेंगी। दरअसल रिजर्व बैंक चाहता है कि किसी कंपनी का बैंक कारोबार उसके बाकी कारोबारों से साफ तौर पर अलग रहे, ताकि नियमन में आसानी हो।
आरबीआई ने नये बैंकिंग लाइसेंस के लिए न्यूनतम 500 करोड़ रुपये पूँजी की शर्त रखी है। पहले यह रकम 300 करोड़ रुपये रखे जाने की चर्चा थी। रिजर्व बैंक चाहता है कि नये बैंकों का पूँजी आधार बड़ा हो जिससे जोखिम कम हो।
आरबीआई के मसौदे के मुताबिक पहले पाँच सालों में बैंक में विदेशी हिस्सेदारी 49% से ज्यादा नहीं हो सकती। पाँच साल पूरे होने के बाद बैंकों में विदेशी हिस्सेदारी के मौजूदा नियम लागू होंगे। फिलहाल निजी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 74% है। वहीं सरकारी बैंकों में यह सीमा 20% तय की गयी है। दावेदार कंपनियों को पहले पाँच सालों में विदेशी निवेश की सीमा 49% से ज्यादा नहीं होने की शर्त थोड़ी मुश्किल लग रही है।
आरबीआई ने नये बैंकों के बोर्ड में 50% स्वतंत्र निदेशकों की शर्त रखी है। आरबीआई चाहता है कि बैंक प्रमोटर ग्रुप की अन्य कंपनियों और उनके ग्राहकों को वरीयता न दे। साथ ही दूसरी कंपनियों को कर्ज देने या वसूली करने में कोई भेदभाव न हो। आरबीआई ने यह शर्त भी रखी है कि नये बैंक किसी समूह की एक कंपनी को अपनी चुकता पूंजी और रिजर्व के 10% से ज्यादा कर्ज नहीं दे सकेंगे। वहीं उस समूह की दूसरी कंपनियों को मिला कर भी कर्ज की सीमा 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। इस नियम के जरिए सार्वजनिक पैसे का दुरुपयोग होने की संभावना कम होगी।
दूरदराज इलाकों में भी बैंकों की पहुँच बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने मसौदे में यह शर्त भी रखी है कि नये बैंकों को 25% शाखाएँ ग्रामीण इलाकों में खोलनी होंगी। नये बैंकिंग लाइसेंस के लिए दावेदार कंपनियों ने इस शर्त पर कड़ी आपत्ति जतायी है। कंपनियों को लगता है कि ग्रामीण इलाकों में बैंक चलाने में उन्हें काफी दिक्कतें आयेंगी और वे इस शर्त को बेहद सख्त बता रही हैं।
नये बैंकिंग लाइसेंस पर रिजर्व बैंक के मसौदे के मुताबिक नये बैंकों को कारोबार शुरू करने के दो साल के भीतर खुद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना होगा। दावेदार कंपनियाँ इस शर्त पर सख्त आपत्ति की है। इनका कहना है कि 2003 में जब यस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को बैंक लाइसेंस दिये गये थे, उस समय यह शर्त नहीं रखी गयी थी।
रिजर्व बैंक ने बैंक लाइसेंस के मसौदे पर सभी पक्षों से 31 अक्टूबर तक अपनी राय देने को कहा है। सभी पक्षों की राय मिलने के बाद रिजर्व बैंक नये बैंकिंग लाइसेंस पर अंतिम दिशा निर्देश जारी करेगा। इसके बाद मानदंडों पर खरी उतरने वाली कंपनियाँ या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएँ बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगी।
नये बैंकिंग लाइसेंस के लिए बजाज फिनसर्व, आदित्य बिरला नूवो, रिलायंस कैपिटल, रेलिगेयर सिक्योरिटीज, श्रेई इन्फ्रा जैसी कई कंपनियाँ दावेदार हैं। आदित्य बिरला नूवो ने तो खुल कर कह दिया है कि वह रिजर्व बैंक के पैमानों पर खरी उतरती है और अंतिम दिशानिर्देश आने के बाद बैंकिंग लाइसेंस का आवेदन करने के लिए तैयार है। रेलिगेयर और श्रेई इन्फ्रा ने भी आवेदन करने में दिलचस्पी दिखायी है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2011)