शेयर बाजार इस समय अपनी ऐतिहासिक ऊँचाई के पास है और इस उछाल में दिग्गज शेयरों से कहीं ज्यादा तेजी छोटे-मँझोले शेयरों में दिखी है।
जाहिर है कि इसका फायदा छोटे-मँझोले शेयरों में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रदर्शन में भी दिख रहा है। मगर अपनी श्रेणी की तुलना में कहीं ज्यादा तेज चाल दिखा कर चौंकाया है एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज फंड ने। इस फंड ने 3 मई 2017 की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) के आधार पर बीते एक साल में 57% का जबरदस्त मुनाफा दिया है। इसके डायरेक्ट प्लान का बीते एक साल का प्रतिफल 58.3% है। यह फंड एक साल के आधार पर अपने धमाकेदार प्रदर्शन से अपनी श्रेणी में सबसे ऊपर नजर आ रहा है। बेशक, इस पूरी श्रेणी का ही प्रदर्शन इस दौरान बहुत अच्छा रहा है, पर यह फंड श्रेणी के औसत और मानक सूचकांक के प्रदर्शन से काफी आगे है। बीते एक साल में जहाँ बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक ने 39.9% बढ़त हासिल की है, वहीं इस श्रेणी के फंडों की औसत वृद्धि 40.3% का है।
हालाँकि ध्यान रखना चाहिए कि यह फंड अभी केवल तीन साल का है। इसका गठन 12 मई 2014 को हुआ था। इस लिहाज से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के अलग-अलग दौर की परीक्षाओं से इसका गुजरना बाकी है। गठन से अब तक का यानी बीते लगभग तीन वर्षों का इसका औसत वार्षिक प्रतिफल 32% है। इसकी तुलना में बीते 3 वर्षों में बीएसई स्मॉलकैप ने 27% और श्रेणी औसत 36.6% का प्रतिफल दिया है। यानी भले ही साल भर के हिसाब से इस फंड ने काफी चमकदार प्रदर्शन किया है, पर तीन साल की अवधि में यह अपनी श्रेणी के औसत से कुछ पीछे ही है। लिहाजा इस फंड को लंबी रेस का घोड़ा मान लेने से पहले इसकी चाल और कुछ समय तक देखने की जरूरत होगी।
मगर इस श्रेणी के शानदार प्रदर्शन ने ही एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें इस श्रेणी के एक प्रमुख फंड डीएसपी ब्लैकरॉक माइक्रो कैप ने फरवरी से निवेशकों से नया निवेश लेना ही बंद कर दिया है। इसके फंड मैनेजर विनीत सांबरे ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा है कि मँझोले शेयरों को लेकर अति-उत्साह वाली स्थिति बन गयी है, जिससे मूल्यांकन काफी ऊँचे हो गये हैं और वे एक स्वस्थ गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि जब इस श्रेणी में कुल एयूएम के लिहाज से सबसे बड़े फंड ने खुद ही नये निवेश को आने से रोक रखा हो, तो इसी श्रेणी के किसी अन्य फंड को नये निवेश के लिए उपयुक्त माना जा सकता है? छोटे-मँझोले शेयरों के ऊँचे मूल्यांकन की स्थिति अगर डीएसपी ब्लैकरॉक माइक्रो कैप के लिए है तो एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज के लिए भी है। मगर दो बातें एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज को थोड़ी बेहतर हालत में रखती हैं। नया फंड होने के कारण इसका आकार छोटा है, यानी निवेश के अवसरों को तलाशना इसके लिए तुलनात्मक रूप से आसान है।
डीएसपी ब्लैकरॉक माइक्रो कैप के सांबरे अपने 5500 करोड़ रुपये से अधिक की निधि के चलते तरलता की दिक्कत बताते हैं। उनका कहना है कि फंड के इतने बड़े आकार के साथ निवेश के आकर्षक अवसर तलाश पाना मुश्किल हो गया है। मगर एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज का एयूएम लगभग 700 करोड़ रुपये है। लिहाजा इसके फंड मैनेजर के लिए निवेश के अवसरों को तलाशने की चुनौती थोड़ी हल्की है।
दूसरी बात यह है कि इसके समूचे पोर्टफोलिओ का मूल्यांकन कुछ कम है। इसके पोर्टफोलिओ का औसत पीई अनुपात 20.2 का है, जबकि डीएसपी ब्लैकरॉक माइक्रो कैप के पोर्टफोलिओ का औसत पीई 23.5 का है। एयूएम के मामले में स्मॉलकैप फंडों की श्रेणी में दूसरा सबसे प्रमुख फंड है फ्रैंकलिन इंडिया स्मॉलर कंपनीज फंड है। इसके पोर्टफोलिओ का भी औसत पीई 23.6 है। इस श्रेणी के एक अन्य प्रमुख फंड रिलायंस स्मॉल कैप फंड के पोर्टफोलिओ का पीई अनुपात 21.7 का है। यानी यह कहा जा सकता है कि एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज फंड के लिए मूल्यांकन की चिंता तुलनात्मक रूप से कम है।
लेकिन इस श्रेणी के सबसे प्रमुख फंड के फंड मैनेजर की दृष्टि पर ही विश्वास करें तो बाजार में मुनाफावसूली या किसी अन्य कारण से गिरावट आने पर छोटे-मँझोले शेयरों में आने वाली गिरावट दिग्गज शेयरों से कहीं ज्यादा तीखी होगी। इसलिए कोई निवेशक छोटी-मँझोली श्रेणी के फंडों में चाहे एलऐंडटी इमर्जिंग बिजनेसेज को चुने या इसी फंड घराने के एलऐंडटी मिडकैप फंड को या बिड़ला सन लाइफ स्मॉल ऐंड मिडकैप फंड को, जिन्होंने साल भर में 48% से अधिक का प्रतिफल दिया है, या इनसे थोड़ा ही पीछे रहे रिलायंस स्मॉलकैप फंड (46.2%) को, पर उसे अपने कुल इक्विटी निवेश में इस श्रेणी की हिस्सेदारी सीमित ही रखनी चाहिए।
(निवेश मंथन, मई 2017)