एक तरफ जहाँ सरकार ने गरीबों के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लिए आवास ऋण पर सब्सिडी के जरिये आवास की माँग को बढ़ाने का कदम उठाया है,
वहीं रियल एस्टेट कानून के जरिये इस क्षेत्र की एक खास समस्या दूर करने का प्रयास किया गया है। यह समस्या है उचित विनियमन नहीं होने से भरोसे की कमी। रियल एस्टेट कानून (रेरा) लागू हो जाने से अब उपभोक्ता इस विश्वास के साथ खरीदारी कर सकेंगे कि किसी डेवलपर की परियोजना में मकान खरीद लेने के बाद उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा फँस नहीं जायेगा। भरोसे की कमी भी एक प्रमुख कारण रही है, जिसके चलते हाल के वर्षों में ग्राहक इस बाजार से कुछ दूर-दूर बने रहे हैं।
पर उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता के वादे के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित रियल एस्टेट कानून (रेरा) 1 मई 2017 से लागू हो गया है। हालाँकि 1 मई तक केवल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं बिहार और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, दादर एवं नागर हवेली, दिल्ली, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप शामिल हैं। इन राज्यों में भी केवल महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने ही अभी नियामक (रेगुलेटर) की नियुक्ति की है। इसे अब तक लागू नहीं कर सके राज्यों का कहना है कि उनके पास बुनियादी ढाँचे और संसाधनों की कमी है।
केंद्र सरकार के मुताबिक पूरी तरह से उपभोक्ता केंद्रित रेरा से उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा होगी और वही सबसे महत्वपूर्ण होगा। कई रियल एस्टेंट कंपनियों ने भी इस कानून का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे भारतीय रियल एस्टेंट क्षेत्र के काम करने के तरीके में महत्वहपूर्ण रूप से बदलाव आयेगा। रियल एस्टे्ट (रेगुलेशन ऐंड डेवलपमेंट) बिल, 2016 को पिछले साल मार्च में संसद में पारित किया गया था। अब 1 मई से इस कानून की 92 धाराएँ प्रभावी हो गयी हैं।
आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने 9 वर्षों से प्रतीक्षित इस कानून की शुरुआत को एक नये युग का आरंभ करार दिया है। इस कानून की मदद से उपभोक्ताओं के अलावा डेवलपरों को भी विनियमित माहौल में ग्राहकों का भरोसा बढऩे से लाभ होगा, क्योंकि इसमें खरीदारों और डेवलपरों के अधिकारों और दायित्वों को बहुत साफ तौर से परिभाषित किया गया है।
रेरा के तहत अब डेवलपरों को वर्तमान में चल रही उन परियोजनाओं का पंजीकरण करावाना होगा, जिनके समापन प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए हैं। साथ ही नयी शुरू होने वाली परियोजानओं का पंजीकरण भी 3 महीने के अंदर प्राधिकरण में कराना होगा। हालाँकि महाराष्ट्र ही एकमात्र राज्य है जिसने डेवलपरों और ब्रोकरों को नये अधिनियम के तहत नयी परियोजनाओं के लिए पंजीकरण या आवेदन करने की सुविधा देने के लिए अपनी एक वेबसाइट चालू कर दी है।
रेरा के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रियल एस्टेट प्राधिकरण बनाना जरूरी होगा। आवास मंत्रालय ने कहा है कि जिन राज्यों ने इस कानून के संबंध में कोई अधिनियम नहीं लागू किया है, उन्हें जनता की ओर से दबाव झेलना पड़ेगा। साथ ही जनता इस मामले को अदालत में भी ले जा सकती है। (काशिद)
(निवेश मंथन, मई 2017)