सब रास्ते बंद हो जायेंगे सब सीधे हो जायेंगे
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- Category: दिसंबर 2016
नोटबंदी का फैसला आने के बाद विभिन्न कर प्रावधानों को लेकर लोगों के मन में काफी सवाल रहे हैं। जो लोग किसी जुगाड़ से काला धन सफेद करने में लगे हैं, क्या वे आसानी से निकल जायेंगे?
बिक्री घटी, पर दीर्घकाल में सकारात्मक असर
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- Category: दिसंबर 2016
भारत सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 500 रुपये और 1000 रुपये नोटों को अवैध घोषित कर दिया। ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल की राय में उच्च मूल्य के इन नोटों का हिस्सा देश की कुल करेंसी में 86% होने के कारण यह ऐतिहासिक निर्णय अपने दायरे और परिमाण के आधार पर अभूतपूर्व है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि दीर्घकालिक असर सकारात्मक होने के बावजूद विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों और संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर इसका काफी असर पड़ेगा। ब्रोकिंग फर्म के शोध दल ने इस कदम के शुरुआती असर के आकलन के लिए पिछले कुछ दिनों में विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों (बीएफएसआई, ऑटो, उपभोक्ता वस्तु, खुदरा, वस्त्र, दूरसंचार, सीमेंट) का परीक्षण किया और विभिन्न कंपनियों/विक्रय श्रृंखला साझेदारों से मुलाकात की। इस विश्लेषण में ब्रोकिंग फर्म ने इस परीक्षण के निष्कर्षों का सार पेश किया है।
काले धन का रंग बदलने के जुगाड़
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- Category: दिसंबर 2016
संदीप त्रिपाठी :
‘आज रात 12 बजे के बाद 500 और 1000 रुपये के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे।’ मंगलवार, 8 नवंबर, 2016 की शाम सवा आठ बजे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम प्रसारण में यह बात कही तो मानो पूरे भारत में भूचाल आ गया। आम जनता जहाँ एटीएम पर लाइन लगा कर 400 रुपये निकालने के लिए अकुलाई दिखी, वहीं एक वर्ग ऐसा भी था जो अलग ही तरह के खेल में लिप्त हो गया। यह खेल था काले धन को बचाने का खेल।
जैसे बदले हाल, वैसे बदली चाल
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- Category: दिसंबर 2016
प्रणव :
सवा अरब की आबादी वाले देश की वित्तीय प्रणाली में 86 फीसदी नकदी के रूप में मौजूद 500 और 1,000 रुपये के नोट को बदलना बैंकिंग प्रणाली के लिए यकीनन दुरूह चुनौती थी। प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद लोगों में खलबली मचना स्वाभाविक था। ऐसे में आठ नवंबर को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद जब 10 नवंबर को बैंक खुले तो एकाएक यही लगा कि पूरा देश बैंकों के सामने कतार में खड़ा हो गया है।
नोटबंदी ने करायी रिश्तों की पहचान
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- Category: दिसंबर 2016
संदीप त्रिपाठी :
संकट का समय रिश्तों की पहचान कराता है। नोटबंदी ने एक बार फिर साबित किया कि हिंदुस्तान में इंसानियत और सहयोग की भावना शेष है, रिश्ते हैं, भावनाएँ हैं, भाईचारा है। नोटबंदी ने अचानक उस आदमी को भी कंगाल बना दिया जिसकी जेब में 500-500 रुपये के नोटों की शक्ल में 10-20 हजार रुपये भी पड़े हुए थे। रुपये हैं लेकिन चलेंगे नहीं, खायेंगे क्या, पीयेंगे क्या? बैंक बंद, एटीएम बंद, दो दिन बाद खुलेंगे तो नोट बदले जायेंगे, पैसे निकल पायेंगे। लेकिन पैसे तो सबको चाहिए, भीड़ जबरदस्त होगी, किसके निकल पायेंगे, किसके नहीं निकल पायेंगे, कब तक नहीं निकल पायेंगे, कोई नहीं जानता था।
सेठ जी नोटबंदी के बाद
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- Category: दिसंबर 2016
नोटबंदी लागू होने के बाद एक सेठ जी ने क्या-क्या जतन नहीं किये, पर लक्ष्मी जी तो उनसे रूठ ही गयीं। लक्ष्मी जी ने अंत में क्या बताया उनको रूठने का कारण?
सियासत बदलेगी या बदलेंगे मोदी?
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- Category: दिसंबर 2016
संदीप त्रिपाठी :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों की बंदी की घोषणा कर दी। राजनीतिक विरोधियों ने पहले तो प्रधानमंत्री के इस कदम के उद्देश्य का समर्थन किया, और फिर इसके तरीके और जनता की परेशानी की आड़ में विरोध शुरू कर दिया। आम जनता %प्रतीक्षा करो और निगरानी रखो’ के मूड में दिखी। 28 नवंबर को तथाकथित %भारत बंद’ के विपक्ष के आह्वान का हस्र साफ संकेत देता है कि जनता अपने नाम पर किसी को सियासी खेल खेलने देने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है।
बैंकों को कितना होगा नफा-नुकसान
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- Category: दिसंबर 2016
राजेश रपरिया :
मोदी सरकार का दावा है कि विमुद्रीकरण के क्रांतिकारी फैसले से विकास दर में इजाफा होगा। ब्याज दरों के गिरने से माँग में वृद्धि होगी, जिससे पूँजी निवेश को जोरदार प्रोत्साहन मिलेगा। निस्संदेह तुरंत ऐसा लगा भी। देश के सबसे बड़े व्यावसायिक बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सावधि जमाओं पर ब्याज दरें घटा दी। कुछेक अन्य बैंकों ने भी ऐसा किया। तब लगा कि कर्जों की ब्याज दरें भी नीचे आयेंगी और ब्याज दरें कम होने से कर्ज वृद्धि दर में उछाल आयेगी। बैंकों के साथ ही अर्थव्यवस्था की गाड़ी सरपट दौडऩे लगेगी।
उद्योगों के हौसले पस्त, म्यूचुअल फंड उद्योग को खुशी
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- Category: दिसंबर 2016
राजेश रपरिया :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के फैसले से कई उद्योगों के हौसले पस्त हैं। पर म्यूचुअल फंड उद्योग की खुशी का ठिकाना नहीं है। सरकारी आकलन है कि इस फैसले से 10 लाख करोड़ रुपये की नकदी बैंकों में बढ़ेगी। म्यूचुल फंड उद्योग को उम्मीद है कि इसका एक बड़ा हिस्सा उसके खाते में आयेगा।
गिरती ब्याज दरें : डेब्ट फंडों में निवेश
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- Category: दिसंबर 2016
ब्याज दरों में गिरावट का क्रम शुरू हो गया है और वित्तीय सलाहकार निवेशकों को इससे संबंधित सलाह देने में जुट गये हैं और कई तरह के निवेश विकल्पों की सलाह दे रहे हैं। लक्ष्य है पोर्टफोलिओ में ऐसा बदलाव ताकि इस गिरावट का अधिकतम फायदा उठाया जा सके। लेकिन जानकार यह भी कहते हैं कि ब्याज दरों में गिरावट का फायदा उठाने की सोच रहे निवेशक को विकल्पों का चयन करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए।
दीर्घकालिक निवेश के लिए आगामी समय अच्छा मौका
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- Category: दिसंबर 2016
आईसीआईसीआई डायरेक्ट का मानना है कि अगले 12-18 महीनों में दीर्घकालिक निवेशकों के लिए उत्कृष्ट निवेश अवसर मिलने की संभावना है। ब्रोकिंग फर्म की सलाह है कि निवेशकों को मौजूदा अस्थिरता के कारण हताश नहीं होना चाहिए और बाजार में मौजूदा कमजोरी से लाभान्वित होने के लिए एसआईपी या नियमित निवेश शुरू कर देना चाहिए।
छोटी उम्र से निवेश के होते हैं फायदे बड़े
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- Category: दिसंबर 2016
म्यूचुअल फंडों में कम उम्र में निवेश करना कई तरह से फायदेमंद होता है, लिहाजा यह अवसर नहीं गँवाना चाहिए।
निवेश का फलसफा एकदम सीधा है कि वर्तमान में इसे जितनी जल्दी शुरू किया जाये, भविष्य उतना ही बेहतर बन सकता है। आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करते हैं, उस पर हासिल होने वाला प्रतिफल आपके लिए और व्यापक प्रतिफल का आधार तैयार करता है। निवेश की भाषा में कहें तो इससे चक्रवृद्घि ब्याज हासिल होता रहता है।
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